गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

जीत की  होती  खुशी  ले  मजा  भी  हार  का।

प्यार में मिलते  नजारे चख  मजा तकरार  का।

मीत  बनते  हैं  सदा  दौलत  लुटा   के  देख ले,

जब मुसीबत  आ पड़ी  देखा  तमाशा यार का।

पास जब तक  जर रहा तो  पूत भी अपनें बनें,

घोर  बीमारी लगी  मुख फिर गया  परिवार का।

रो  रहे   हैं  आज   मेरी    मौत   पर   हैरान  हूॅं,

कल तलक था जो रहा मैं मांगता हक प्यार का।

साथ मिल-जुल के रहे भाई  सभी  इक जान थे,

शादियां जब  हो ग‌ई  लगता पता  व्यवहार का।

पैर  धरती पर  कभी  जिन के  पड़े हैं कब कहाॅं,

चुभ गया ही जानता  क्या  दर्द‌  होता  खार  का।

रोज   करते   वायदे   है  मुकरना   आसान  है,

हाल उस  का  पूछ  दम  भर   रहा  इकरार का।

प्यार   होता  है सदा  यह  दो  दिलों के मेल का,

मोल बिकती गर मुहब्बत  रुख़ करें बाजार  का।

राम भज ले  नाम जप ले  हो रही अब  सांझ है,

है  यहां ‘शिव’  मौज मेला ज़िंदगी  दिन चार  का।

— शिव सन्याल

शिव सन्याल

नाम :- शिव सन्याल (शिव राज सन्याल) जन्म तिथि:- 2/4/1956 माता का नाम :-श्रीमती वीरो देवी पिता का नाम:- श्री राम पाल सन्याल स्थान:- राम निवास मकड़ाहन डा.मकड़ाहन तह.ज्वाली जिला कांगड़ा (हि.प्र) 176023 शिक्षा:- इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लोक निर्माण विभाग में सेवाएं दे कर सहायक अभियन्ता के पद से रिटायर्ड। प्रस्तुति:- दो काव्य संग्रह प्रकाशित 1) मन तरंग 2)बोल राम राम रे . 3)बज़्म-ए-हिन्द सांझा काव्य संग्रह संपादक आदरणीय निर्मेश त्यागी जी प्रकाशक वर्तमान अंकुर बी-92 सेक्टर-6-नोएडा।हिन्दी और पहाड़ी में अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। Email:. [email protected] M.no. 9418063995