सच्चा साथी
जैसे ही मतलब निकला
छोड़ देते हैं लोग साथ,
ये वही लोग होते हैं जो
जिंदगी के कुछ पल पकड़े हाथ,
देखा है मैंने उन सभी
महत्वपूर्ण लोगों को
जिन्हें कहा जाता है कि
सदा साथ निभाएंगे,
पर लोग भूल जाते हैं कि
एक वक्त आते ही आपसे कतराएंगे,
यहां कोई किसी का नहीं,
सबके अपनेपन में
छुपा रहता है स्वार्थ कहीं न कहीं,
कोई आपके उन्नति से
ईर्ष्यावश साथ छोड़ेंगे,
तो कोई आपकी दुर्गति के कारण
आपसे पूरी तरह मुंह मोड़ेंगे,
और कभी कभी तो आपके
मनमस्तिष्क में छा मनोबल तोड़ेंगे,
इस जहां में ऐसा कोई नहीं
जिसे आप अपना कह सकें,
कोई नहीं जिसके बिना आप न रह सकें,
सब दिखावा है,
छलावे से भरा सिर्फ मोह माया है,
यदि सचमुच साथ खड़ा होता है
तो वो होता है विचारधारा,
जो पग पग देता है सहारा,
यदि आप विचार विहीन हैं तो
सिर्फ एक ही है
जो कभी भी साथ नहीं छोड़ता,
जिसे हम कहते हैं परछाई,
जिसने हमसे कभी दूरी नहीं बनाई।
— राजेन्द्र लाहिरी