वोट मांगने गए मोदी विरोधियों को मुल्ला नसरुद्दीन ने लतियाया
मुसलमानों के लिए बहुत आदरणीय व्यक्ति मुल्ला नसरुद्दीन बड़े पहुंचे हुए दार्शनिक माने जाते थे, दुनियाभर में उनके लाखों कद्रदान थे. मुस्लिमों के अलावा हिन्दू और ईसाई भी उनके मुरीद थे. कल रात ही की बात है, उनके पास विभिन्न दलों के मोदी विरोधी नेता पहुचें और बोलें कि आप एक बयान जारी कीजिए कि आपके सभी फालोअर्स मोदी के खिलाफ वोटिंग करें.
मुल्ला नसरुद्दीन बोलें- क्यों?
नेताओं का एक प्रतिनिधि- हम मुसलमानों के हितैषी हैं, इसलिए. हमने हमेशा मुसलमानों का आउट ऑफ वे जाकर पक्ष लिया है.
नसरुद्दीन- क्या प्रमाण है?
नेताजी- महान आतंकवादी याकूब के लिए रात में कोर्ट खुलवाई, मुख्तार का पक्ष लिया, अतीक और अशरफ के साथ खड़े रहे. मृतक आतंकवादियों के परिवारों को एक-एक करोड़ देने का वादा भी किया. नाबालिग मुस्लिम बलात्कारी को सुधारने के बहाने एक सिलाई मशीन और दस हजार रुपए दिए. झगड़ों में हिन्दू मरता है तो उसे चवन्नी-दुअन्नी में निपटा देते हैं और मुस्लिमों को डंके की चोट लाखों और करोड़ तक दे देते हैं. इसतरह हम बेखौफ होकर जनता को अपना एजेण्डा बताते रहते हैं कि हम मुसलमानों के साथ हर स्थिति में खड़े रहेंगे.
दार्शनिक मुल्ला ने गुस्से में टोकते हुए कहा- इसका अर्थ है कि आप आतंकवादियों, मुजरिमों और बलात्कारियों के गॉड फादर हैं, और अपराधों के पक्षधर हैं, जबकि इस्लाम इसके खिलाफ है.
सारे नेता एक दूसरे के चेहरों की तरफ देखने लगे. उन्हें लगा कि गलत आदमी के पास आ गए हैं.
एक कांगी ने हिम्मत करके गला खखारा और बोला- हमारे प्रधानमंत्री ने कहा था कि देश के सभी संसाधनों पर पहला अधिकार अल्पसंख्यकों का है?
मुल्ला- सो व्हाट ?
नेताजी- इससे मुसलमानों का फायदा हुआ.
नसरुद्दीन- क्या फायदा हुआ?
नेताजी- अरे ! फायदा क्यों नहीं, इससे मुसलमानों की बहुत तरक्की हुई है, उन्हें लगने लगा है कि वे देश में हिन्दुओं से ज्यादा अहमियत रखते है.
नसरुद्दीन- ज़रा मुझे तरक्की की डेफिनिशन और उसके लक्षण बताइए और फिर देश के करोड़ों मुसलमानों में से खोजकर सौ दो सौ मुसलमानों के नाम बता दो, जो तरक्की की परिभाषा में फिट बैठते हों. ज्यादा नहीं सिर्फ़ दो सौ.
सारे नेता फिर से सामूहिक चुप्पी यानी पिन ड्राप साइलेंस के सन्नाटे में एक दूसरे का चेहरा देखने लगे.
एक ने मुंह खोला और बोला-हमने करोड़ों रुपयों के हज हाउसेस बनवाएं, वक्फ बोर्ड बनवाया, अल्पसंख्यक आयोग बनवाया, हर मामले में प्रायोरिटी दी, पिछले साठ सालों से भी ज्यादा सालों से हम मुसलमानों के साथ खड़े हैं.
अचानक मुल्ला बोलें, चलो-छोड़ो, ये बताओ कि तुम्हारे बच्चें क्या कर रहे हैं?
सभी नेता उत्साह के साथ समवेत स्वर में बोलें, हमारे बच्चें विदेशों में पढ़ रहे हैं या वहां नौकरी कर रहे हैं.
नसरुद्दीन- साठ साल तक जिन मुसलमानों के तुमने सारे के सारे वोट एक मुश्त लिए, उन मुसलमानों के लगभग कितने लाख बच्चें देश या विदेश में उच्च शिक्षित हैं और विदेशों में नौकरी कर रहे हैं?
सारे के सारे नेता एक दूसरे का मुंह ताकने लगे, उनके पास कोई जवाब नहीं था.
नसरुद्दीन- तुमने साठ सालों में कितने मुसलमानों को पक्कें मकान बना कर दिए.
फिर लाजवाब हुए नेता बगलें झाँकने लगे.
नसरुद्दीन- कितनी मुस्लिम महिलाओं को मुफ्त में गैस कनेक्शन दिए? कितने मुसलमानों को मुद्रा लोन दिलवाया? कितने हताश-निराश मुस्लिम बच्चों को एग्जाम वरियर से एग्जाम वारियर बना कर उनके हौसले बुलन्द किए?
अब बेचारे जवाब दे भी तो क्या दें, उन्होंने तो मुसलमानों को बस बंधुआ वोटर ही तो माना और बनाया था, इससे ज्यादा कुछ भी नहीं.
फिर भी एक नेता हिम्मत जुटाकर बोला-हमने मुसलमानों की आरएसएस और भाजपा के गुण्डों से रक्षा की, नहीं तो आरएसएस और भाजपा सब मुसलमानों को मार डालती.
नसरुद्दीन- आज तक कितने मुसलमानों को आरएसएस और भाजपा के कथित गुण्डों ने मारा है, ज़रा पुख्ता सुबूतों वाले दस्तावेज हो तो ही मुंह खोलना. मुल्ला, थोड़ा गुस्से में बोलें, मुझे पुख्ता सबूतों वाली घटनाओं के बारे में ही बताना, वरना तुम्हारी ………
वे नेता अं, आं, वो, जैसे आधे अधूरे शब्द निकालने की कोशिशें करते रहे परन्तु मुंह से बोल निकले नहीं.
नसरुद्दीन- मेरे भाई का पोता आरएसएस के सरस्वती शिशु मन्दिर में दस सालों से पढ़ रहा है और हर दिन मैं तुम लोगों द्वारा फैलाए जा रहे झूठ का पता लगाने के लिए उसका इन्टरव्यू लेता हूँ कि कहीं कोई सुबूत मिल जाए, परन्तु पूरे दस साल यानी 120 महीने हो गए हैं, उन स्कूलों में नफरत का नहीं राष्ट्रभक्ति का, समरसता का, इंसानियत का बीज बोया जाता है. पूरे देशभर में लाखों मुस्लिम बच्चें अपने हिन्दू सहपाठियों के बीच रहते हुए सरस्वती शिशु मन्दिरों में इंसानियत और मोहब्बत का सबक सीख रहे हैं किसी ने कभी कोई शिकायत नहीं की कि उनके साथ पक्षपाती सुलूक किया जाता है या नफ़रत की बीज बोये जाते हैं.
नसरुद्दीन फिर बोलें- साठ सालों से तुमने हिन्दुओं को दोयम दर्जे का माना और आज उस नफरत और पक्षपात के बिना भी उनकी तरक्की आसमान छू रही है, आखिर क्यों? क्या इस क्यों का जवाब दे सकते हो??
फिर से पिन पटक सन्नाटा पसर गया, वे जवाब दे तो आखिर क्या दें.
नसरुद्दीन- मैं बताता हूँ, तुमने खामख्वाह मुसलमानों के दिलोदिमाग में हिन्दुओं के प्रति नफरत के जहरीले बीज बोये और उन बीजों को झूठे किस्से कहानियों से सींचते रहे और हिन्दू इन बातों को इग्नोर करते हुए, अपने रास्ते पे मुसलसल आगे बढ़ते गया. यदि तुम नफरत की बीज नहीं बोते तो ये मुसलमान भी तरक्की करते चले जाते, क्योंकि इनमें भी वो ही डीएनए है, जो हिन्दुओं में हैं. भारत का मुसलमान हकीकतन तो हिन्दू ही है. तुमने नफरती बातों से मुसलमानों की कुदरती प्रतिभा को तहस-नहस कर डाला है, तुमने उनकी जिस्मानी और दिमागी ताकत को हिंसक बना डाला है. तुम….तुम मुसलमानों के असली और बहुत बड़े दुश्मन हो.
एक गहरी सांस लेते हुए मुल्ला नसरुद्दीन बोलें- तुमने 1947 में मजहब के नाम पे देश को बांटा था, फिर भी हिन्दुओं के रामलला फटे हुए तम्बू में रहें, उल्टे तुमने बीस-तीस वकील खड़े कर दिए, अयोध्या तो सदियों से राम की ही थी. सारे मुसलमान पाकिस्तान चले जाते तो क्या अयोध्या और क्या काशी-मथुरा सभी हिन्दुओं के ही थे और हिन्दुओं के ही रहते.
मुल्ला का गुस्सा बढ़ता जा रहा था, वे बोलें- पाकिस्तान में क्या किसी हिन्दू को राष्ट्रपति बनाया गया? क्या वहां के आला अफसरों में कोई हिन्दू है? हिन्दुओं के देश हिन्दुस्तान में जितनी खुद्दारी और खुशहाली से मुसलमान रहा है, ऐसा पाकिस्तानी मुसलमानों के नसीब में नहीं है. आज वजीरेआजम मोदी साहेब पूरी दुनिया में अमन और चैन के लिए अगुवाई करने वाले नेता के रूप में सम्मानित हो रहे हैं. आरएसएस के होने के बावजूद उन्होंने लाखों मुसलमानों को [पक्के मकान दिए हैं और सभी योजनाओं का लाभ मुसलमानों को बेखौफ और बिना पक्षपात के मिल रहा है.
अचानक मुल्ला नसरुद्दीन बेहद गुस्से में उबल पड़े और बोलें कि मुसलमानों को अब तुम्हारी हकीकत समझ में आने लगी हैं. जिस दिन देश के सारे मुसलमान तुम्हारी साजिशों से बाहर आएंगे, उस दिन रामनवमी के जुलूसों, दुर्गा माता की यात्राओं, रथयात्राओं, वैष्णो देवी के मन्दिर के रास्तों में या अयोध्या में सुरक्षा के लिए सैनिक नहीं लगाने पड़ेंगे, इण्डोनेशियाई मुस्लिमों की तरह मुसलमान रामलीला करेंगे और खेलेंगे. तुम्हें तो चुल्लूभर पानी में डूब मरना चाहिए. तुम्हें मुसलमानों से वोट मांगते शर्म क्यों नहीं आती है? तुमने मुसलमानों के लिए किया क्या है, उनके दिलोदिमाग में बेवजह हिन्दुओं का डर बैठा दिया है, रोटियाँ सेंकना बंद करो. अरे हरामियो ! देश के अमनोचैन के दुश्मनो ! नक्सलियों को शहीद का दर्जा देने वालों यहाँ से तुरत दफा हो जाओ, वरना…
और वे सभी मुंह लटकाए मुल्ला नसरुद्दीन के घर से आननफानन में तेज क़दमों से निकल पड़े.
— डॉ. मनोहर भण्डारी