उसे जिता दो
जिसने लूटा, उसे जिता दो,
जिसने कूटा,उसे जिता दो,
घोटालेबाजी में जिनका –
भांडा फूटा,उसे जिता दो।
वंशवाद-परिवारवाद में –
मिला अंगूठा, उसे जिता दो।
कुत्ते, बिल्ली,गधे, लोमड़ी,
तुम्बक तूता,उसे जिता दो।
दिए सनातन को जो गाली,
मारे जूता,उसे जिता दो।
बेटा-बेटी और भतीजा,
गाड़े खूंटा, उसे जिता दो।
प्रभू धाम को जो लटकाए,
है जो झूठा, उसे जिता दो।
भारत माता सिसक रही हैं,
धीरज छूटा, उसे जिता दो।
जातिवाद का बिष फैलाकर,
लड़े कलूटा, उसे जिता दो।
पढ़े-लिखे मूर्खों अब जागो,
जो है ठूंठा, उसे जिता दो।
— सुरेश मिश्र