कविता

पानी

जग में बहुमूल्य है 

अगर कोई 

वह है पानी 

बिन पानी सब सून 

मर जाये जो आँखों का पानी 

तो आदमी न रहे आदमी 

बज़ूद हो जाये उसका शून्य 

पानी न हो तो सीप का गर्भ 

रहे बेकार 

जन सके न मोती 

रोटी भी न बन सके 

न हो जो पानी 

हम भी न जी सके 

जो मिले न दो घूंट पानी 

समझो इसकी क़ीमत 

बेज़ा न करो बर्बाद इसको

*ब्रजेश गुप्ता

मैं भारतीय स्टेट बैंक ,आगरा के प्रशासनिक कार्यालय से प्रबंधक के रूप में 2015 में रिटायर्ड हुआ हूं वर्तमान में पुष्पांजलि गार्डेनिया, सिकंदरा में रिटायर्ड जीवन व्यतीत कर रहा है कुछ माह से मैं अपने विचारों का संकलन कर रहा हूं M- 9917474020