नेताओं का सुखी जीवन
नेताजी ने जैसे ही कहा
भाइयों, बहनों और मितरों,
मुझे याद आ गया 43 बी सी का
महान दार्शनिक सिसरों,
तभी बता दिया था बातें उचित,
जो आज के जमाने में बैठता है सटीक,
गरीब पसीने से निखरता है,
दिन भर हाड़तोड़ काम करता है,
मेहनत करके भी नहीं कर पाता
अपने परिवार का भरण पोषण,
जबकि अमीर आराम से कर लेता है
उसी गरीब का शोषण,
सैनिक मुस्तैदी से ख्याल रखता है
देश के सभी कोनों का,
साथ ही रक्षा करता है इन दोनों का,
बचाकर भले न रख पाए
करदाता सोच भविष्य के दिनों को,
लेकिन भुगतान कर जिलाता है तीनों को,
कुछ हैं जो ऐश के साथ जीते हैं,
इन चारों के नाम पर खूब पीते हैं,
बैंकर जैसे ही घर से छूटता है,
इन पांचों को आसानी से लुटता है,
वकील को नहीं होता परवाह,
मिलेगी दुआ या फिर आह,
वो इन छःहों को करता है गुमराह,
डॉक्टर का चेहरा तब खिलता है,
जब सभी सातों से बिल वसूलता है,
अंत में सभी आठों एक ही जगह जाते हैं,
दफनाने वाला जहां सबको दफनाते हैं,
ये परिपाटी किसी के लिए
बन जाता सुभीता है,
इन सभी नौ लोगों के बल पर
नेताजी सुखी जीवन आराम से जीता है।
— राजेन्द्र लाहिरी