देश को यूं न नोचो
मुझे तुझपे भरोसा है,
तुझे मुझपे भरोसा है,
पर ये कौन है जिसे
भरोसा है अपनी जाति पर,
अपनी खोखली ख्याति पर,
इस गलत भरोसे के चलते
क्या क्या नहीं कर जाते हो,
संवैधानिक हद से भी आगे गुजर जाते हो,
ये घमंड घमंडी को कहीं का नहीं छोड़ता,
इनसे दिल का रिश्ता कोई नहीं जोड़ता,
ये इंसान को इंसान से दूर करता है,
कुछ बुरा करने को मजबूर करता है,
इसी के कारण देश में अलगाव आ रहा है,
वतन की छवि गंवा रहा है,
जातिवाद का दंश एक दूसरे को काट रहा,
अलग अलग झुंडों में बांट रहा,
इंसानियत बिना तू कहां इंसान है,
इसके चक्कर में बढ़ जाता घमासान है,
अरे तनिक तो मुल्क के बारे में सोचो,
उन्हें जाति के नाम पर मत नोचो।
— राजेन्द्र लाहिरी