विरासत टैक्स के विचार के खिलाफ़ आक्रोश का उफान
वैश्विक स्तरपर सर्वविदित है के दुनियां की कोई भी सरकार शासन प्रशासन आर्थिक स्तंभ के बिना खड़ी नहीं हो सकती सबसे बड़ी प्राथमिकता वित्तीय उपलब्धता करना है, जिसका एक ही मार्ग है टैक्स! टैक्स! टैक्स !पूरी दुनियां में शायद ही कोई ऐसा देश होगा जो प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से टैक्स न लगता हो।यानें अपने नागरिकों प्रवासियों अप्रवासियों पर बिना टैक्स लगाए कोई भी सरकार शासन प्रशासन नहीं चला सकती है। हर देश अपने नागरिकों पर अपनी परिस्थितियों स्थितियों के अनुसार टैक्स का प्रावधान करता है, जो अपने प्रतिवर्ष पेश होने वाले बजटमें कर दिया जाता है। यह चर्चा आज हम इसलिए कर रहे हैं क्योंकि व्यक्ति फर्म कंपनियां या फिरएचयूएफ जब तक जीवित हैं तब तक टैक्स भरेंगे जो लाजमी भी है, परंतु यदि व्यक्ति की मृत्यु पर उसके द्वारा पूर्ण टैक्स भरी हुई संपत्ति को उसके बेटों बेटियों या वंशजों को अगर वह संपत्ति हस्तांतरित की जाए तो उसपर भी भारी भरकम टैक्स लगाए जाने की बात अगर की जाए तो मेरा मानना है कि यह कुछ हद तक नाइंसाफी जरूर होगी। पिछले दो दिनों से विरासत टैक्स की चर्चा तब शुरू हुई जब पूर्व बड़े अधिकारी और बड़ी राजनीतिक पार्टी से जुड़े एक शख्सियत ने अमेरिका की तर्ज पर भारत में भी विरासत टैक्स शुरू करने के अपने विचार साझा किया तो, बात दूर तरह तलक चली गई। सत्ताधारी पार्टी ने मुद्दे को लपक लिया क्योंकि वैसे भी इलेक्शन महापर्व शुरू है,इसलिए माननीय पीएम महोदय ने भी इस मुद्दे पर अपने विचार साझा कर विरासत टैक्स पर असहमति जता दी जबकि विरासत टैक्स भारत में पहले वसूला जाता था, जो 1985 में तत्कालीन पीएम ने समाप्त कर दिया था। जबकि कुछ समय पूर्व ही सत्ताधारी पार्टी के दो पूर्व वित्त मंत्री विरासत टैक्स की वकालत करते रहे हैं परंतु मेरा निजी मत है कि विरासत, टैक्स जिंदगी भर टैक्स तले दबे हैं, अब मौत के बाद तो छोड़ दो सरकार,क्योंकि विरासत टैक्स के विचार के खिलाफ गरीब से अमीर तक के आक्रोश का तूफान उठने की संभावना को रेखांकित करना होगा। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे भारत का हरजागरूक नागरिक अपने बाप दादाओ से विरासत में मिली संपत्ति पर विरासत टैक्स देना बर्दाश्त नहीं करने की संभावना है,जो वोट देकरउ सका जवाब देगा। साथियों बात अगर हम विरासत टैक्स पर मचे घमासान की करें तो एक विपक्षीपार्टी से जुड़े बहुत पुराने नेताकेअमेरिका जैसा विरासत कर वाले बयान पर सियासी घमासान मच गया है।हालांकि विरासत कर की अवधारणा भारत के लिए नई नहीं है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ने अतीत में इस विचार पर विचार किया है और दोनों दलों के नेता इसके पक्षधर रहे हैं। विपक्षी पार्टी के नेता द्वारा अमेरिका जैसा विरासत कर की वकालत करने के बाद भारत में चुनावी माहौल गर्म हो गया है। पार्टी नेता ने बयान पर चर्चा की।इन दिनों सियासी पारा पूरी तरह से गर्म है। भाजपा और कांग्रेस में आरोप प्रत्यारोप का दौर भी जारी है। बीते कुछ दिनों से कांग्रेस के घोषणा पत्र को लेकर भाजपा हमलावर है। पीएम अपनी रैलियों में आरोप लगा रहे हैं कि कांग्रेस लोगों की संपत्ति इकट्ठा कर बंदरबांट करेगी।यह विवाद थमा नहीं था कि कांग्रेस नेत ने अमेरिका के विरासत कर की वकालत करके एक नई बहस छेड़ दी है। बयान के बाद भाजपा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस की नीतियां देश को बर्बाद करने वाली हैं। भाजपा आईटी सेल के प्रमुख ने बुधवार को कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि हमारी मेहनत से बनाई संपत्ति का आधा हिस्सा छीन लिया जाएगा।इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष ने कहा था,अमेरिका में विरासत कर (टैक्स) लगता है। अगर किसी के पास 100 मिलियन डॉलर की संपत्ति है,और जब वह मर जाता है तो वह केवल 45 फीसदी अपने बच्चों को दे सकता है। 55 फीसदी सरकार द्वारा हड़प लिया जाता है। यह एक दिलचस्प नियम है। यह कहता है कि आपने अपनी पीढ़ी में संपत्ति बनाई और अब आप जा रहे हैं, आपको अपनी संपत्ति जनता के लिए छोड़नी चाहिए। हालांकि पूरी नहीं, आधी ही। ये जो निष्पक्ष कानून है मुझे अच्छा लगता है।आगे कहा, भारत में आपके पास ऐसा नियम नहीं है। अगर किसी की संपत्ति 10 अरब है और वह मर जाता है, तो उसके बच्चों को 10 अरब मिलते हैं और जनता को कुछ नहीं मिलता। इसलिए लोगों को इस तरह के मुद्दों पर बहस और चर्चा करनी होगी।आगे कहा, यह एक नीतिगत मुद्दा है। कांग्रेस पार्टी एक ऐसी नीति बनाएगी, जिसके माध्यम से धन का बांटना बेहतर होगा।
साथियों बात अगर हम दिनांक 25 अप्रैल 2024 को विरासत टैक्स पर विपक्षी पार्टी के बड़े लीडर के बयान की करें तो, विरासत टैक्स को लेकर पीएम के बयान पर स्पष्टीकरण दिया। प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस मेनिफेस्टो की बुकलेट लेकर पहुंचे। उन्होंने कहा कि हमारे घोषणा पत्र में कहीं भी विरासत टैक्स का जिक्र नहीं है।आगे कहा,सच यह है कि 1985 मेंतत्कालीन पीए ने इस विरासत टैक्स को खत्म कर दिया था। हमने कभी भी विरासत टैक्स का जिक्र नहीं किया। अरुण जेटली और जयंत सिन्हा जैसे भाजपा नेताओं ने विरासत टैक्स के पक्ष में वकालत की है। वास्तव में यह हमारा नहीं, भाजपा का एजेंडा है।आगे कहा, पीएम असत्यमेव जयते का प्रतीक हैं। उनका प्रचार झूठ पर आधारित है। वे बोल रहे हैं कि हमारे मेनिफेस्टो में प्रॉपर्टी बांटने का जिक्र है। मैं उन्हें चैलेंज करता हूं कि हमारे 50 पेज के मेनिफेस्टो में एक शब्द भी ऐसा नहीं है जो प्रॉपर्टी बांटने का जिक्र करता हो। पीएम ने हाल ही में अपने कई चुनावी भाषणों में कहा है कि कांग्रेस चुनाव जीतने के बाद माता-पिता से मिलने वाली विरासत पर टैक्स लगाएगी।
साथियों बात अगर हम विरासतकर को जाननेऔर संविधान के अनुच्छेद 39(बी) की व्याख्या की करें तोविरासत कर एक व्यक्ति द्वारा विरासत के हिस्से के रूप में मिली संपत्ति पर लगाया जाने वाला कर है। यह राज्य द्वारा लगाई जाने वाली कर व्यवस्था है। अमेरिका की विरासत कर या इनहेरिटेंस टैक्स व्यवस्था उस धन, संपत्ति पर लगती है जिसे कोई व्यक्ति मरने के बाद दूसरों के लिए छोड़ देता है। जिसे संपत्ति मिलती है उसे ही विरासत कर का भुगतान करना होता है। हालांकि, इस कर को लागू करने में कई कारकों की भूमिका होती है। ये कारक यह निर्धारित करते हैं कि कितना कर भुगतान किया जाना चाहिए और मृतक कहां रहता था, संपत्ति पाने वाले के साथ उनके रिश्ते कैसे थे।सुप्रीम कोर्ट की नौ-न्यायाधीशों की पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) की व्याख्या के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है। पीठ यह निर्धारित करेगी कि डीपीएसपी सरकार को निजी संपत्तियों के पुनर्वितरण की अनुमति देता है या नहीं। यह मुद्दा 1977 के रंगनाथ रेड्डी मामले के चलते उपजा है, जिस पर जस्टिस वीआर कृष्णा अय्यर ने असहमतिपूर्ण दृष्टिकोण रखा है।इस मामले को फरवरी 2002 को नौ-न्यायाधीशों की पीठ द्वारा व्याख्या के लिए भेजा गया था। अनुच्छेद 39 (बी) में प्रावधान है कि राज्य अपनी नीति को यह सुनिश्चित करने की दिशा में निर्देशित करेगा कि ‘समुदाय के भौतिक संसाधनों का स्वामित्व और नियंत्रण इस प्रकार वितरित किया जाए कि आम हित के लिए सर्वोत्तम हो। कई वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने तर्क दिया कि सामुदायिक संसाधनों में कभी भी निजी स्वामित्व वाली संपत्तियां शामिल नहीं हो सकतीं। अधिवक्ताओं के अनुसार, संविधान से चलने वाले लोकतांत्रिक देश में इस विचार की कोई जगह नहीं है जो नागरिकों के मौलिक अधिकारों को प्रधानता देता है।
साथियों बात अगर हम अमेरिका में विरासत टैक्स की करें तो,अमेरिका में विरासत कर की व्यवस्था केंद्र स्तर पर नहीं लागू नहीं है। संयुक्त राज्य अमेरिका में 50 राज्य और कोलंबिया जिला शामिल हैं लेकिन विरासत कर वाली व्यवस्था महज छह राज्यों में ही लागू है। विरासत कर लगाने वालों अमेरिकी राज्यों में आयोवा, केंटकी, मैरीलैंड, नेब्रास्का, न्यू जर्सी और पेंसिल्वेनिया शामिल हैं। हालांकि, आयोवा राज्य ने घोषणा की है कि वह 2025 में अपने विरासत कर को समाप्त कर देगा।विरासत कर कितना है और इसे किसे भुगतान करना है, इसके बारे में हरेक राज्य के अपने-अपने नियम हैं। आयोवा राज्य में विरासत कर 1प्रतिशत से 4प्रतिशत तक होता है। नियम के अनुसार, पति-पत्नी, बच्चे, सौतेले बच्चे, माता-पिता, दादा-दादी और परदादा, पोते-पोतियां और पर-पोते-पोते को छूट है। इसके अलावा, 500 अमेरिकी डॉलर तक की चैरिटी की छूट भी मिलती है।केंटकी में मृतक से रिश्ते के आधार पर डॉलर 500 या डॉलर 1, हज़ार से अधिक की संपत्ति पर टैक्स लागू होता है। यह कर 4प्रतिशत से 16प्रतिशत तक होता है। नियम के अनुसार, पति-पत्नी, माता-पिता, बच्चे, सौतेले बच्चे और पोते-पोतियां और भाई-बहनों को रियायत हैमैरीलैंड में डॉलर 1हज़ार से अधिक की संपत्ति पर कर की दर 10प्रतिशत है। पति-पत्नी, बच्चे, माता-पिता, दादा दादी,पोते पोतियां भाई-बहन और दानदाताओं को कर से छूट मिलती है।जानकारी के अनुसार, मैरीलैंड वह राज्य है जो विरासत कर और संपत्ति कर दोनों लगाता है।नेब्रास्का राज्य में माता-पिता, बच्चे, भाई-बहन और दादा-दादी डॉलर 1लाख़ से अधिक की संपत्ति पर 1 प्रतिशत का भुगतान करते हैं। चाची, चाचा, भतीजी और भतीजे डॉलर 40हज़ार से अधिक की संपत्ति पर 11प्रतिशत का भुगतान करते हैं। अन्य सभी उत्तराधिकारी डॉलर 25 हज़ार से अधिक की संपत्ति पर 15प्रतिशत का भुगतान करते हैं। हालांकि, 22 वर्ष से कम आयु के पति पत्नी और उत्तराधिकारियों को छूट मिलती है।न्यू जर्सी में संपत्ति की कीमत और मृतक के साथ रिश्ते के आधार पर 11प्रतिशत से 16प्रतिशत तक कर लागू होता है। पति/पत्नी, बच्चों, माता-पिता, दादा-दादी, पोते-पोतियों और धर्मार्थ संगठनों को इससे रियायत है। वहीं भाई-बहनों और बेटों/बहुओं को डॉलर 25हज़ार तक की छूट है।पेंसिल्वेनिया में डॉलर 3,5 सव से अधिक की संपत्ति पर बच्चों, माता-पिता और दादा-दादी के लिए कर 4.5 प्रतिशत कर की व्यवस्था है। भाई-बहनों को 12 प्रतिशतऔर अन्यउत्तराधिकारियों को 15 प्रतिशत टैक्स देना होता है। हालांकि, जीवनसाथी, 21 वर्ष से कम उम्र के बच्चों और दान संस्थाओं को छूट है।
अतः अगर हम अपरूप पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि विरासत टैक्स जिंदगी भर टैक्स तले दबे हैं साहब, मौत के बाद तो छोड़ दो सरकार!विरासत टैक्स के विचार के खिलाफ़ गरीब से अमीर तक के आक्रोश का तूफान उठने की संभावना को रेखांकित करना होगा।भारत का हर जागरुक नागरिक अपने बाप दादाओ से विरासत में मिली संपत्ति पर विरासत टैक्स देना बरदाशत नहीं करने की संभावना-वोट देकर जवाब देने की तैयारी।
— किशन सनमुखदास भावनानी