ग़ज़ल
यूं ख्यालों में खोने से क्या फायदा
दर्द के बीज बोने से क्या फायदा।
जिन्हें आंसू् भी पानी नजर आते हों
तो सामने उनके रोने से क्या फायदा ।
कोई अपना नहीं वक्त पड़ने तो दो
मतलबी रिश्ते ढोने से क्या फायदा।
हर कोई अपनी दुनिया में मशरूफ है
फिर यूं पलकें भिगोने से क्या फायदा।
ख्वाब में भी खुशी हासिल न हो
फिर दिन रात सोने से क्या फायदा।
चार दिन की मोहब्बत फिर तन्हाईयां
फिर तेरे होने न होने से क्या फायदा।
कोई शिकवा शिकायत जानिब नहीं
पर बेवजह मुस्कराने से क्या फायदा।
— पावनी जानिब सीतापुर