यमलोकयात्रा पर जरुर जाऊंगा
एक बार फिर
कल रात यमराज से मुलाकात हो गई,
कुछ प्यार मोहब्बत और कुछ तकरार हो गई,
पर ये कोई नई बात भी नहीं जो हुई।
हम दोनों का याराना ऐसा ही है
मन का बोझ उतारने के लिए
हमारा जब तब भी मिलना निश्चित है।
खैर अब आगे सुनिए
आज मैंने उलाहना दिया
यार तुम ही बार बार मेरे पास आते हो,
चाय, नाश्ता, खाना मांगकर खाते हो,
क्या बिल्कुल नहीं शर्माते हो?
यमराज हमेशा की तरह प्यार से बोला
प्रभु! आपसे मिलना अच्छा लगता है
आपके साथ उठना, बैठना
खाना पीना, ठहाके लगाना, तकरार करना
मुझे सबसे अच्छा लगता है।
पर आपको अपने लोक आने का आमंत्रण देने में
तनिक संकोच होता है,
भाभी के बेलन से डर लगता है
और बच्चों का भी तो ख्याल रखना पड़ता है।
मैंने झुंझलाते हुए कहा- मुझे बेवकूफ समझता है
एक कप चाय पिलाने से बचना चाहता है
शायद मुझे कमतर आंकता है।
पर आज मैं तेरी एक न सूनूंगा
आज तेरे साथ ही चलकर यमलोक का भ्रमण करुंगा,
तेरे घर की एक चाय पीकर ईमानदारी से लौट आऊंगा।
यमराज असहज हो गया- प्रभु आपने ये क्या कह दिया?
ऐसा हुआ तो अनर्थ हो जाएगा
आपके साथ आपके घर से मेरा दाना पानी
हमेशा के लिए प्रतिबंधित हो जाएगा।
मैं भी मूड में आ गया
कुछ भी हो पर आज तो मैं ऐसा ही करुंगा
साथ नहीं ले चलेगा तो क्या हुआ?
मैं गूगल की मदद से वहां आ जाऊंगा,
पर्यटक गाइड की मदद से यमलोक का भ्रमण करुंगा,
लोकतंत्र का अवलोकन करुंगा
न्याय व्यवस्था को समझने का प्रयास करुंगा,
मंदिर मस्जिद गिरजा, गुरुद्वारा देखूंगा
चिकित्सा और शिक्षा व्यवस्था का हाल देखूंगा,
पर्यावरण, विज्ञान और सैन्य व्यवस्था का
अपने हिसाब से अवलोकन करुंगा।
कवियों कवयित्रियों से मिलकर
साहित्यिक चर्चा भी करुंगा,
जुगाड़ू लगा तो वहां के प्रधानमंत्री,
राष्ट्रपति के साथ फोटो भी खिंचवाऊंगा,
विपक्षी नेताओं से भी मिलूंगा
और फिर शराफत से वापस आ जाऊंगा।
यमलोक यात्रा का खूबसूरत संस्मरण लिखकर
देश के बड़े अखबारों में छपवाऊंगा
अपना भौकाल बनाऊंगा,
तुम्हारी तारीफों का सबसे लंबा पुल बनाऊंगा
अब तुम चाहो या न चाह
मैं तो यमलोक यात्रा पर जरुर जाऊंगा।