कविता

मोक्ष

शब्दों में ढलती है आत्मा
दूर तक यात्रा करती है
देखती है आग तो
धुआं बन जाती है
देखकर तितली
फूल बन जाती है
सागर के तट पर रुककर
पैर पखार लेती है
बादल संग मनुहार कर
मिट्टी मखमल करती है
वेद, पुराण के पन्नों को
चूम, सूरज का आचमन
करती है
मोक्ष की तलाश कहाँ उसको
सारी दुनिया घूमकर जिद्दी
फिर मुझमें आ जाती है…!

— सविता दास सवि

सविता दास सवि

पता- लाचित चौक सेन्ट्रल जेल के पास डाक-तेजपुर जिला- शोणितपुर असम 784001 मोबाईल 9435631938 शैक्षिक योग्यता- बी.ए (दर्शनशास्त्र) एम.ए (हिंदी) डी. एल.एड कार्य- सरकारी विद्यालय में अध्यापिका। लेखन विधा- कविता, आलेख, लघुकथा, कहानी,हाइकू इत्यादि।