मोदीनामा
अभी भारत देश में दो ही तरह के लोग हैं – पहला मोदी को चाहने वाले, दूसरा मोदी से नफरत करने वाले। जो मोदी को चाहते हैं, वह उनके दिल और दिमाग दोनों जगह बसते हैं। जो मोदी से नफरत करते हैं, वह उनके दिमाग में बसते हैं। मोदी को चाहने वाले चाहते हैं कि मोदी से नफरत करने वालों के दिमाग और दिल में भी मोदी बस जाएं जिससे कि वह उनके विचार को धीरे धीरे मानने लगे। इसके विपरीत मोदी को नापसंद करने वाले चाहते हैं कि मोदी के चाहने वालों के दिल से उन्हें बाहर कर दिया जाए। मतलब आज की तारीख में मोदी एक विचार बन चुका है, ऐसा विचार जिसकी चर्चा सब तरफ हो रही है। देश देशांतर में मोदीनामा पसर रहा है। मोदी को नापसंद करने वाले उन्हें वर्तमान की गंदगी दिखलाते हैं, तो मोदी को चाहनेवाले उन्हें उस अतीत की याद दिला रहे होते हैं, कि क्यों आज हम इस मुकाम पर हैं। यह सर्वविदित सत्य है कि एक एक बढ़ता कदम वर्तमान को जी रहा है, जो अतीत से निकाल कर हमें भविष्य की ओर बढ़ा रहा है। अतीत से सबक लेकर ही वर्तमान सुधारा जा सकता है।
लोकतंत्र की अपनी मर्यादा होती है। इस मर्यादा में रहकर काम करने वाले और इस मर्यादा को तोड़कर काम करने वालों के बीच संघर्ष युद्ध है। असत्य ने सदैव सत्य को पराजित करना चाहा है, थोड़ी देर के लिए जीत का भ्रम भले पैदा कर ले, पर अंततः सत्य ही अपराजेय होता है। अंधकार का अस्तित्व कहां है, जहाँ प्रकाश नहीं है। बस प्रकाश फैलाना है। प्रकाश भी फैलाना क्यों, प्रकाश की सहगामिनी है अंधकार। भगवान श्री राम 12 कलाओं के साथ जन्म लिए थे, त्रेतायुग था, भगवान श्री कृष्ण 16 कलाओं के साथ जन्म लिए थे, द्वापर युग था। यह कलियुग है, दुष्टों को मारने के लिए उससे भी ज्यादा कलाओं के साथ जन्म लेने वाला शख्स होगा। कल्पना और संभावना की बात सोचें, कितनी कूटनीतिक चालों को अंजाम देना होगा।
चलिए अब दर्शन शास्त्र से बाहर निकलें – आज से कुछ ही साल पहले, क्या कोई कल्पना कर सकता था कि कश्मीर से धारा 370 हटेगा, भारत में तीन तलाक पर कानून बनेगा, राम मंदिर का निर्माण होगा, भारत सर्जिकल स्ट्राइक करेगा, चीन को धूल चाटने पर मजबूर करेगा, दूसरे देशों यथा पाकिस्तान में छुपे आतंकवादियों को अज्ञात लोगों द्वारा मारा जाना। धर्म के आधार पर आरक्षण देने एवं मांगनेवाली शक्तियों का विनाश सुनिश्चित करें। कुटिलता और मोहकता के साथ सत्य और इमानदारी पर चलनेवाला, असत्य को असत्य से ही कुंद करनेवाला, अंधकार को अंधकार में ही समा देने वाला और सत्य को सत्य से पहचान कराने वाला सिर्फ एक ही ब्यक्ति हुए थे – श्री कृष्ण। उस कृष्ण की छवि अपनाने वाला दूसरा पुरूष नरेन्द्र मोदी। मोदी के केंद्र में आने के पहले ही उनके आचार विचार छाने लगे थे। कांग्रेस और अन्य मिली जुली सरकारों के कारनामे से अधिकांश जनता अपने विचारों की मूर्ति ढूंढ रहे थे। अचानक मोदी उनके विचारों का रूप बनने लगे और देखते देखते राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य पर छा गए। भारत की विदेश नीति की धाक जो आज है, वह अभूतपूर्व है। सैन्यबलों का हौसला चरम बुलंदियों पर है।
मोदी के कारनामों से एक खास तबका परेशान होकर तरह तरह के हथकंडे अपनाने लगा। आज की तिथि में अधिकांश लोग गैर भाजपा सरकारों के अल्पसंख्यक अति तुष्टीकरण, हिंदुत्व को आतंकवाद से जोड़ना, भारतीय आदर्श पुरूष राम, श्री कृष्ण एवं अन्य देवी देवताओं का मजाक उड़ाना, हर बात पर सबूत मांगना, देश में घटी छोटी से बड़ी हर घटना के लिए मोदी को जवाबदेह मानना ( जैसे पुलवामा आक्रमण को भाजपा साजिश बताया जाना, हाल में लाल किला पर तिरंगा को उतारकर खालिस्तानी झंडा फहराया जाना) इत्यादि। इन सबसे भाजपा को और भी ताकत मिल रही है। अब आप गौर से देखें कि आज अवार्ड वापसी गैंग कहाँ हैं , हिंदुस्तान में डर लगता है – कहने वाले कहां गए, जब केरला फाइल्स, कश्मीर फाइल्स, धारा 370 , रजाकार पर फिल्में बनने लगी और हिट होने लगी तब अचानक बालीवुड में लोगों को मिर्ची लगने लगी। सत्य जानकर लोगों को आज लगता है कि आजादी के बाद किस तरह की बीज बोयी गयी है।
मोदी ने अपना सत्य कभी नहीं छुपाया, टोपी नहीं पहननी है, तो नहीं पहनी, अपने धार्मिक प्रेम को कभी भी नहीं छुपाया, कभी भी अपने रिश्तेदारों को धमक नहीं दी, ठीक इसके विपरीत लालू एवं उसके पुत्रों, ममता, मायावती, मुलायम और अखिलेश, पूरा इंदिरा नेहरू परिवार, अब्दुल्लाह परिवार, मुफ्ती परिवार, सोरेन परिवार, एवं श्री श्री 108 केजरीवाल सब अपने पार्टी के पर्याय एवं अकूत धन संपत्ति के मालिक कैसे हुए, सबको पता है।
फिल्मी दुनिया का दाऊदकरन, शिक्षा का अंग्रेजीकरण, मंदिरों से टैक्स दोहन पर मस्जिद गिरजाघर को छूट देना, इन सबसे आजादी पाने का वक्त आ गया है। किसी भी स्टेट का चुनाव हो, नगरपार्षद अथवा पंचायत चुनाव हो, लोकसभा चुनाव हो, भाजपा एक तरफ शेष सारी पार्टियां दूसरी तरफ। यह ध्रुवीकरण क्या संकेत देता है? 135 करोड़ की आबादी वाले देश को कभी भी एकमत नहीं बनाया जा सकता, कभी भी एक दिशा में ढकेला नहीं जा सकता, पर सर्वानुमत दिशा में ले जाने की कोशिश की जा सकती है। अतीत की गलती को सुधारा जा सकता है। भयंकर ऐतिहासिक भूलों को मोदी ने सुधारने की कोशिश शुरू कर दिया है। हम दमदार काम करने वालों के साथ हैं, न घोटालेबाजों, न टोटी चोर, न चारा चोर, न अपहरण उद्योग को बढ़ावा देने वालों के साथ।
जय जय सिया राम….. उद्घोष को आतंकी मानने वालों की पराजय निश्चित ही होगी।
== श्याम सुंदर मोदी