राजनीति

शिक्षकों को स्कूल परिसर में मोबाइल रखने पर रोक

वैश्विक स्तरपर भारत जिस तेज़ी के साथ विकास कर रहा है, इसकी बुनियाद के मुख्य पहियों में से एक शिक्षा व प्रौद्योगिकी विज्ञान है। यानें हर ज्ञान का बेसिक आधार शिक्षाक्षेत्र है, जहां से हमें बहुत टैलेंटेड वैज्ञानिक इंजीनियर डॉक्टर सहित शिक्षा विदों की एक लंबी चौड़ी फौज मिलती है, जो भारत की शान में जमीन से आसमान तक विकास के झंडे गाड़ने में कोई कोरकसर नहीं छोड़ती, जिसका सबसे बड़ा उदाहरण हमने कोविड में कार्योँ से लेकर अंतरिक्ष के दक्षिणी ध्रुव में हमारी पहुंच तक शौर्य को पूरी दुनियां ने देखा और भारत की प्रतिष्ठा में चार चांद लग गए हैं।इसलिए ही हमें आज शिक्षा क्षेत्र को बहुत मजबूत और दूरदर्शी बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़नी है, क्योंकि इसके लिए हम सबसे बड़े टूल नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के साथ ही केंद्रीय व राज्यों के स्तर पर अनेक नियम विनियम कानून हैं जिसका उपयोग कर हम शिक्षा क्षेत्र में हो रहे लीकेजेस को रोकने, कठोर से कठोर नियम कानून बनाने में पीछे नहीं रहना चाहिए। अनेकों बार व्यावसायिक परीक्षाओं के पेपर लीक होने का दंश राजस्थान झेल चुका है, परंतु इस कड़ी में बिहार बंगाल वह उत्तर प्रदेश भी पीछे नहीं रहे है  अभी रविवार दिनांक 6 मई 2024 को संपन्न हुई नेट की परीक्षा केपेपर लीक होने की जानकारी भी सोशल मीडिया में आ रही थी परंतु देर शाम इस पर संबंधित विभाग की सफाई आ गई है कि यह अफवाह है पेपर लीक नहीं हुआ है।

उधर हम कई बार कोटा राजस्थान में छात्रों की आत्महत्या के मामले सुनते आ रहे हैं तो, कई स्कूलों में छात्रों की गुटबाजी तो कई स्कूलों में शिक्षकों के अपनी मोबाइल में बिजी रहने या फिर मोबाइल से अपने निजी कार्य, शेयर मार्केटिंग,पॉर्न क्लिप तो कुछ शिक्षक अपने साइड बिजनेस अकाउंटिंग, सामाजिक संस्था जैसे कोई ऊंचे कदम सेवा समिति या फिर पंचायती कार्यके मेंबर बनकर कुछ कार्यों में बिजी रहते हैं तो उनका ध्यान बच्चोंकी शिक्षा पर काम,अपने वसामाजिक कार्यों पर अधिक होता है,जिन्हें मोबाइल के सपोर्ट से संपूर्ण किया जाता है। जिसका शायद संज्ञान दिनांक 6 मई 2024 को राजस्थान के शिक्षामंत्री ने लिया और एक कार्यक्रम मेंशीघ्र ही स्कूल में शिक्षकों के मोबाइल आने पर पाबंदी लगाने का नियम लाने की बात कही, तो शाम होते-होते देर शाम कार्यालय सयुंक्त निर्देशक स्कूल शिक्षा कोटा संभाग कोटा राजस्थान ने आदेश भी जारी कर दिया जो,कोई मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी कोटा बाराबंकी बूंदी एवं झालवाड़ा को जारी आदेश में कहा गया है कि यदि विद्यालय में कोई शिक्षक या कर्मचारी मोबाइल का उपयोग निजी तौर पर करते हुए पाया गया तो, संबंधित संस्थान प्रधान, संबंधित पीईईओ एवं उस क्षेत्र के संबंधित मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी उन्हें निलंबन से लेकरबर्खास्त करने तक की कार्रवाई होगी जो मेरा मानना है कि बहुत ही अच्छा व नेक कम है,जिसको राष्ट्रीय स्तरपर हर राज्य ने अनुसरण करना चाहिए। चूंकि राजस्थान शिक्षकों को स्कूली परिसर में मोबाइल अपने पास रखने पर पाबंदी लगाई गई है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे,स्कूल में मोबाइल रखना पूजा व नमाज पढ़ने के नाम पर विद्यालय छोड़ने वाले अध्यापकों पर निलंबन से लेकर बर्खास्त करने तक की कार्यवाही सराहनीय कदम है। 

साथियों बात अगर हम शिक्षा में गुणवत्ता बढ़ाने के प्रयासों की करें तो, चूंकि मैं भी गोंदिया राइस सिटी की एक प्रसिद्ध शिक्षण संस्थान का हाईकोर्ट के आदेश पर चैरिटी कमिश्नर द्वारा बनाया गया मेंबर हूं, मेरा मानना है कि शिक्षा संस्थान में किसी संस्था, पंचायत या किसी बढ़ते सामाजिक सेवा समिति या किसी विशेष संस्था की दखलंदाजी नहीं होनी चाहिए, संस्थान के टीचरों को किसी बढ़ते सामाजिक सेवा समिति का सदस्य नहीं होना चाहिए, क्योंकि वह सेवा समिति इन टीचरों व हेड मास्टर के कंधों का उपयोग या इस्तेमाल कर शैक्षणिक संस्थान में अपनी पैंठ बढ़ाने अपने विचारधारा चलाने की कोशिश करती है, या फिर कार्यकारिणी में किसे रखना है, किसे नहीं रखना है इसमें दखलअंदाजी करती है। वह अपने मेंबर कार्यकारी में फिट करने की कोशिश पर अपनी चलाती है,इन्हें बच्चों की शिक्षा से कोई लेना देना नहीं होना होता है, इसलिए सबसे पहले मास्टरों हेड मास्टरों को किसी भी बढ़ाते सामाजिक सेवा समिति से इस्तीफा देने का फरमान देना जरूरी है, ताकि वे बच्चों की शिक्षा व गुणवत्ता परपूरा ध्यान दे सके। 

साथियों बात अगर हम राजस्थान शिक्षा मंत्री के बयान व मंत्रालय के आदेश की करें तो, राज्य के सरकारी स्कूलों के लिए सख्त कदम उठाए हैं,उन्होंने स्कूलों में मोबाइल पर बैन लगाया है। खासकर टीचरों को मोबाइल ले जाने पर सख्त मनाही की गई है। इसके अलावा उन्होंने कहा है कि टीचर्स भैरूजी, बालाजी की पूजा और नमाज पढ़ने के नाम पर स्कूल नहीं छोड़ेंगे।उन्होंने स्कूल में टीचरों के मोबाइल ले जाने पर नारजगी जताई है। साथ ही सख्त निर्देश देते हुए इस पर प्रतिबंध लगाया है। स्कूल में मोबाइल रखने की अनुमति सिर्फ प्रिंसिपल को होगी। उन्होंने स्कूलों में बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए टीचरों को हिदायत भी दी है। उन्होने  स्कूल टाइम में किसी भी पूजा-पाठ और नमाज के नाम पर स्कूल छोड़ने वाले टीचरों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है।उन्होंने साफ कहा है कि अगर कोई टीचर धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होना चाहता है तो वह छुट्टी लेकर जा सकता है। उनके मुताबिक, स्कूलों के निरीक्षण के दौरान अकसर ऐसे मामले सामने आते हैं। उनका कहना है कि इस तरह से बच्चों की पढ़ाई में बाधा उत्पन्न होती है।इसके पीछे उन्होंने तर्क देते हुए कहा है कि स्कूलों में टीचर पूरे दिन मोबाइल पर शेयर मार्केट और न जाने क्या-क्या देखते रहते हैं। टीचर्स उसमें उलझे रहते हैं, इससे बच्चों की पढ़ाई का नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि मोबाइल एक बीमारी जैसा हो गया है। अगर कोई शिक्षक गलती से मोबाइल लेकर आ जाता है तो उसे अपना मोबाइल प्रिंसिपल के पास जमा कराना होगा। केवल प्रिंसिपल को ही स्कूल में मोबाइल लाने की अनुमति होगी। उन्होंने कहा है की टीचर बच्चों को पढ़ाने से पहले खुद पढ़कर जाएं जिससे बच्चों को पढ़ाई में मदद मिले।

कुछ शिक्षक स्कूल में मोबाइल ले जाते हैं और वहां पर बच्चों को पढ़ाने की अपेक्षा मोबाइल ही देखते रहते हैं। ऐसे में बच्चों की शैक्षणिक गुणवत्ता पर सीधा प्रभाव पड़ रहा है। इस कारण शिक्षा मंत्री ने सख्त आदेश जारी कर दिये हैं। ताकि अब कोई स्कूल में मोबाइल नहीं चला सके। शिक्षा मंत्री ने साफ कह दिया है कि अगर कोई इस आदेश की अवेहलना करता है तो उसके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा। शिक्षक अपने परिवार या अन्य लोगों को प्रिंसिपल का नंबर दे सकते हैं। जो विद्यालय में चालू रहेगा। लेकिन अन्य टीचर फोन नहीं ले जा सकेंगे।उन्होने कि शिक्षक मोबाइल ले जाते हैं, वह या तो शेयर मार्केट देखते रहते हैं या फिर सोशल मीडिया पर समय गंवाते हैं। ऐसे मैं स्कूल में शिक्षा का स्तर लगातार गिरता जा रहा है‌। उसे दुरुस्त करने के लिए हम यह सब कर रहे हैं। इसकी पालना आज से ही शुरू कर दी गई है। ऐसा नहीं करने पर शिक्षकों के खिलाफ एक्शन लिया जाए उन्होने आज दोपहर अपने सरकारी आवास पर इसके बारे में जानकारी दी ऐसी जानकारी मीडिया में आई है। उन्होने कहा पता नहीं मोबाइल में क्या- क्या देखते रहते हैं। कई शिक्षकों के बारे में शिकायतें मिलती है कि वे दिनभर मोबाइल में ही व्यस्त रहते हैं। पता नहीं इतना वे क्या देखते रहते हैं। उन्होंने आगे कहा कि शिक्षकों के स्कूल में मोबाइल ले जाने पर पहले से रोक लगी हुई है। बच्चों के भविष्य के लिए यह उचित कदम है। वर्तमान सरकार इन नियम को सख्त तरीके से लागू करने का प्रयास कर रही है। नियमों की पालना कराना और स्कूलों का वातावरण सही करना सरकार की प्राथमिकता है। बता दें कार्यालय संयुक्त निदेशक स्कूल शिक्षा कोटा संभाग कोटा ने आदेश जारी किए है। मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी कोटा, बांरा, बूंदी एवं झालावाड़ को आदेश जारी किए है। 

साथियों बात अगर हम 8 वर्ष पहले भी इसी तरह के आदेश जारी होने की करें तो, उसे समय भी यह कहा गया था कि  सरकारी स्कूलों में बच्चों को बेहतर शिक्षा प्रदान करने के लिए अब शिक्षकों की भी मॉनिटरिंग की जाएगी। खास बात यह है कि अब अगर शिक्षक क्लास में मोबाइल फोन पर बात करते हुए पाए गए तो उनका वेतन तक काट दिया जाएगा। बच्चों के हित में शिक्षा निदेशालय ने यह आदेश जारी किए हैं। शिक्षकों को क्लासरूम में मोबाइल फोन स्विच ऑफ या फिर साइलेंट मोड पर रखना होगादरअसल, क्लासरूम में मोबाइल के उपयोग पर रोक लगाने जाने के बावजूद धड़ल्ले से शिक्षक क्लास के टाइम पर फोन पर बात करते पाए गए थे। अब संस्था प्रधान शिक्षकों पर नजर रखेंगे। स्कूल की जिम्मेदारी संस्था प्रधान की होगी और नोडल अधिकारी पूरे नोडल पर नजर रखेगा।बच्चे भी स्कूलों में मोबाइल फोन लेकर नहीं जा पाएंगे। अगर किसी जरूरी कारण से वे फोन लेकर स्कूल आ भी गए तो उनको प्रिंसिपल के कक्ष में फोन जमा करवाना होगा। इसके बावजूद किसी स्टूडेंट के पास मोबाइल मिलता है तो उसको जब्त कर लिया जाएगा। अब फिर इस तरह के आदेशों की सख़्ती की बात कही जा रही है।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि मास्टर साहब ! कृपया सरकारी फरमान जान लें,शिक्षकों को स्कूल परिसर में मोबाइल रखने पर पाबंदी-अनुशासनात्मक कार्रवाई का आदेश जारी।शिक्षकों को स्कूल में मोबाइल ले जाने पर बंदिश का आदेश जारी करना सराहनीय कदम-राष्ट्रीय स्तरपर हर राज्य को इसका अनुसरण करना चाहिए।स्कूल में मोबाइल रखनें,पूजा व नमाज पढ़ने के नाम पर विद्यालय छोड़ने वाले अध्यापकों पर निलंबन से लेकर बर्खास्तगी तक की कार्यवाही सराहनीय क़दम है। 

— किशन सनमुखदास भावनानी

*किशन भावनानी

कर विशेषज्ञ एड., गोंदिया