कविता
जीवन में करें ऊर्जाओं का संचार,
आएगी जीवन में खुशियाँ और साहस का विस्तार।
बढेगी जीवन में शक्ति और आत्मविश्वास की रफ्तार,
इसके लिए जरूरी है ब्यायाम
योगा और पोष्टिक आहार।
स्वास्थ्य से बढ़कर नहीं कोई दूसरा धन,
इसी में छिपा है सुनहरा और स्वस्थ मन।
अगर चाहते हो पीड़ाओं से रखना है दूरी,
तो रोज सात्विक और शुद्ध भोजन, करना है जरुरी।
नियम से चलोगे तो स्वस्थ रहोगे बारंबार,
अगर करोगे इन बातों का तिरस्कार
तो दुख और रोग से घिरे रहेंगे तेरे मन के द्वार।
निरोग शरीर में बसता है स्वस्थ सशक्त धन,
आशाओं की किरणों पे आश्रित है अपना मन।
क्योंकि सत्य यही है सर्वोपरि है स्वास्थ्य की पूंजी है,
खुशहाल, स्वस्थ और निरोग जीवन ही इस पूंजी की कुंजी है।
— मृदुल शरण