सामाजिक

माँँ दिवस 12 मई 2024

वैश्विक स्तरपर पृथ्वी की 84 लाख योनियों में से अगर दो जीवों के जीवन के अनमोल अद्वितीय व दिल से जुड़े अनमोल रिश्ते के बारे में अगर मुझसे पूछा जाए तो मैं जवाब दूंगा, माँँ और उसका बच्चा।वाकई मेरा मानना है कि शायद हर व्यक्ति का जवाब यही होगा,क्योंकि एक माँँ ही है, जो अपने बच्चों पर मातृत्व प्रेम का असीम खजाना लुटा देती है। अगर हर व्यक्ति अपने बचपन से आज तक के पलों को याद करे तो उसे यही महसूस होगा। आज जिसके पास इस पृथ्वी पर माँँ हयात यानें जीवित है, वह मांका प्यार वात्सल्य पा रहा है, तो सचमुच उससे अधिक भाग्यशाली जीव इस पृथ्वी पर नहीं होगा। आज हम यह जानने की कोशिशभी नहीं करेंगे कि माँँ दिवस कब से और क्यों मनाना शुरू हुआ। बल्कि हमें सिर्फ यह याद रखना है कि 12 मई तो क्या साल के 365 दिन ही मां दिवस है।क्योंकि मांहमारी भगवान है, दूसरा इसके बिना जीवन शून्य है। मां और बच्चे का अनमोल रिश्तों के पल मानवीय जीव को ही नहीं पृथ्वी की सभी 84 लाख योनियों के प्राणियों में अगर देखा जाए तो हमें इस रिश्ते के महत्व को करीब सेसमझेंगे। मसलन एक गाय कुत्ता बिल्ली सहित ऐसे पालतू जीवों के अगर छोटे से बच्चों को अगर हम द्वेष भावना से क्लेश से हाथ लगाएंगे या कहीं ले जाएंगे तो उनकी मां हम पर झपटा मारेगी, हमला करेगी! यह है माँँ। मैं अगर माँँ के साथ में अपनी सच्चाई बताऊं तो 20 नवंबर 2020, धनतेरस के दिन से  मैं अपनी मां के प्यार से वंचित हो गया हूं क्योंकि इसी दिन मेरी आंखों के सामने मेरी मां को साइलेंट अटैक आया था और मेरे नजरों के सामने, मेरे से बात करते हुए, मैन दुनियां से ओझल होते हुए अपनी आंखों से देखा था वह पल मैं जिंदगी में कभी नहीं भूल पाऊंगा और हमेशा सोचता हूं, चिट्ठी ना कोई संदेश ना जाने कौनसा देश जहां तुम चले गए, इसीलिए ही कहता हूं जिनके पास माँँ है वह जीवन में भाग्यशाली जीव है। मां के गहरे असीम प्यार को हम करीबी से महसूस कर सकते हैं, जिनके घर में छोटे दूध मुहें बच्चे हैं, तो हम देखेंगे की उस मां का अपने बच्चों पर कितना केयर रहता है।अपना पूरा समय वह बच्चों केलालन पोषण में लगा देती है, क्योंकि वह मां बच्चे के रोनें या नहीं सोने पर सारी रात आंखों में कांटे डालकर जैसे तैसे बिता देता है। यह मैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि हमारे घर में अभी दो छोटे बच्चे हैं, कुमार और रूहान जिनकी परवरिश उनकी माएं कर रही है, तो एक मां और एक बच्चे की परवरिश की गहराई का एहसास मुझे होता है। मेरा मानना है कि जो मानवीय जीव अपनी मां का अपमान करते हैं उसे दुख देते हैं, घर से निकाल देते हैं या माँँ की शान में कोई कृत्य करते हैं, तो उनसे बड़ा पापी इस पृथ्वी पर कोई नहीं है उनसे बड़ा कोई दुराचारी नहीं है, उनको इस योनि में उनके इस कृत्य का हज़ार गुणा फल जरुर मिलेगा ऐसा मेरा विश्वास है। मेरा मानना है कि हर व्यक्ति ने अपनी मां का सम्मान करते हुए मां दिवस 12 मई 2024 को पूरा दिन मां के साथ बिताना चाहिए, उसकी छत्रछाया में उसके चरणों में बैठकर उनसे वार्तालाप करना, खेलना हंसमुख मजाक कर उन्हें खुशी देना चाहिए, फिर ब माँँ को और क्या चाहिए। अगर उसकी औलाद उनको खुशियां देती है तो मां के मुख से ऐसी दुआएं निकलती है जो उन बच्चों का यह लोक तो क्या परलोक भी सवेरा हो जाता है। अपने बारे में मुझे ऐसा पूरा विश्वास है कि 12 मई 2024 को अदृश्य रूप से ही सही मेरी मां जरूर आएगी, क्योंकि मैंने मन से कह दिया है माँँ तुम्हारे साथ मैं माँँ दिवस मनाना चाहता हूं आ जाओ इस लोक में या फिर बुला लो परलोक में। चूंकि मां की गोद एक शरण स्थान है, जहां हमें सुकून मिलता है, सभी दुखों का इलाज होता है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे माँँ धरती पर भगवान का रूप होती है माँँ का स्थान हमारे जीवन में अद्वितीय होता है। 

साथियों बात अगर हम माँँ की करें तो, हम में से हर कोई अपनी मां से सबसे ज्यादा जुड़ाव महसूस करता है। ये जीवन की शुरुआत से होता है और जीवन के अंत तक बना रहता है। मां हर किसी के लिए वो खास इंसान होती है जिससे एक बच्चा अपने जीवन की शुरुआती गुण सीखता है। हम बड़े हो जाते हैं मां बूढ़े होने लगती है और फिर इस व्यस्त जीवन में हम मां के पास ही लौटना भूल जाते हैं। ऐसे ही लोगों के लिए अपने मां के पास लौटने का दिन है मां दिवस। इसे मानने की शुरुआत भी ऐसी ही कहानी से हुई थी। माँ के प्यार की कोई सीमा नहीं होती, वह हमेशा हमारे साथ होती है, चाहे हम कितने भी दूर हों। उनकी गोद एक शरणस्थान है,जहाँ हमें सुकून मिलता है और सभी दुखों का इलाज होता है। माँ हमारी दुआ होती है, हमारी सबसे अच्छी मित्र होती है और हमारी अनमोल सम्पत्ति होती है।कई बार हम ये भूल जाते हैं कि हमारी माँ भी इंसान हैं, उनकी भी अपनी इच्छाएं और ख्वाहिशें होती हैं। शायद वो कभी घूमने जाना चाहती थीं, या कोई नया शौक अपनाना चाहती थीं, लेकिन उन्होंने हमारी परवरिश के लिए अपने सपनों को त्याग दिया। मां दिवस 12 मई के  इस अवसर पर, आइए हम ये ज़रूर करें कि हम उनकी ख्वाहिशों को जानने की कोशिश करें और उन्हें पूरा करने में उनकी मदद करें। अपनी माँ के साथ थोड़ा वक्त बिताएं, उनकी पसंद की फिल्म देखें, या उनकी पसंद का खाना बनाकर उन्हें स्पेशल फील कराएं। यकीन मानिए, ये छोटी-छोटी चीज़ें ही उन्हें सबसे ज्यादा खुशी देंगी। माँ शब्द जितना छोटा है, उसका महत्व उतना ही ज्यादा है। दुनियां की हर एक मां को समर्पित है मातृ दिवस। मां की दुआएं हमारी मुसीबतों से इस कदर टकराती हैं, जमाने की हर बलाए उनके काले टीके से घबराती हैं। किसी ने हमसे पूछा स्वर्ग कहां है, हमने मुस्कुराते हुए कहा, जिसके घर में मां है वो जगह स्वर्ग है!माँ के प्यार से ज्यादा कुछ नहीं अनमोल होता है। 

साथियों बात अगर हम माँँ दिवस 12 मई  को मनाने की करें तो, मातृ दिवस के इस शुभ अवसर पर, मैं अपनी माँ के बारे में कुछ शब्द कहना चाहता हूँ। माँ वह स्तंभ हैं जो हमारे परिवार को संभालती हैं। वो सुबह जल्दी उठकर रात देर तक काम करती हैं ताकि हम खुश रह सकें। वो न सिर्फ हमारे भोजन का ध्यान रखती हैं बल्कि हमारे अच्छे संस्कारों का भी ध्यान रखती हैं। कभी-कभी हम उनकी बातों को नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन उनकी हर बात हमारे भले के लिए ही होती है। इस मौके पर, मैं अपनी माँ से माफी माँगता हूँ उन सब लम्हों के लिए जब मैंने उन्हें दुखी किया और उनका शुक्रिया अदा करता हूँ उनके हर त्याग के लिए। मां दिवस हर इंसान के लिए एक विशेष दिन है क्योंकि यह हमें हमारी एकमात्र दुनिया (माँ) को उसके प्यार और समर्थन के लिए धन्यवाद कहने का मौका देता है जो उसने पूरी जिंदगी दी है।अपने विचारों को ऐसे शब्दों की भाषा में पिरोना चाहता हूं ताकि दूर गगन में बैठी मेरी माँ सुन सकें और मेरे जीवन में उनके महत्व को महसूस कर सकें। मां दिवस के इस शुभ अवसर पर, दूर गगन में बैठी और मां दिवस पर अदृश्य रूप से मेरे सामने आई अपनी माँ के बारे में कुछ शब्द कहना चाहता हूँ कि आज भी मैं हर जगह हर स्थिति में चाहे वह खुशी हो या गम तुम्हारा साथ मैं महसूस कर रहा हूं मां दिवस पर हे मां तुझे प्रणाम वंदन। 

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि माँँ दिवस 12 मई 2024-हे माँँ ! तुम्हारे साथ माँँ दिवस मनाना है,आओ इस लोक में या बुला लो परलोक में।माँँ की गोद एक शरण स्थान है,जहां हमें सुकून मिलता है सभी दुखों का इलाज होता है।माँँ धरती पर भगवान का रूप होती है, माँँ का स्थान हमारे जीवन में अद्वितीय होता है।

— किशन सनमुखदास भावनानी

*किशन भावनानी

कर विशेषज्ञ एड., गोंदिया