बेटी
ऑफिस के निकलते समय अपने जुड़वाँ बच्चों से मिश्रा जी ने पूछा, “आज आप दोनों की बर्थ डे है। मम्मी केक के लिए आर्डर कर चुकी हैं। वह शाम तक पहुंच जाएगा। आप लोगों को गिफ्ट में क्या चाहिए, बता दीजिए, ताकि आते समय मैं लेते आऊँगा। आप लोगों को तो पता ही है कि मेरी च्वाइस कुछ खास नहीं है। इसलिए आप लोग बता देंगे, तो अच्छा रहेगा।”
“पापा, मेरे लिए ब्लू कलर की साइकिल ला दीजिएगा, जिसकी फोटो मैंने आपको परसों मोबाइल में दिखाया था।” दस वर्षीय बेटे ने कहा।
“ओ के बेटा। और हम हमारी गुड़िया रानी के लिए क्या लाएँ ?” उन्होंने बेटी से पूछा।
“पापा, आज आप समय पर पहुँच जाएगा।” गुड़िया ने कहा।
“वो तो हम पहुँच ही जाएँगे। आप तो ये बताइए कि आपको गिफ्ट में क्या चाहिए ?” मिश्रा जी ने पूछा।
“सब कुछ तो है मेरे पास। आप समय पर घर पहुँच जाइएगा, यही मेरा गिफ्ट होगा। आपको शायद अंदाजा नहीं कि जब तक आप घर ऑफिस से घर नहीं पहुँचे रहते, तब तक हमें आपकी चिंता बनी रहती है।” गुड़िया ने बहुत ही मासूमियत से कहा।
मिश्रा जी ने गुड़िया को गोद में भर लिया और कहा, “प्रॉमिस, आज से मैं रोज समय पर घर पहुँच जाया करूँगा। यदि कभी देर हुई, तो फोन करके बता दिया करूँगी।”
“लव यू पापा।” गुड़िया ने कहा और उनके माथे को चूम लिया।
_ डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़