गीतिका/ग़ज़ल

मां की याद है मुझे !!

अजन्मी थी मैं जब किया होगा प्रथम संवाद

मां की याद है मुझे जबसे है अपनी याद

मौन की शक्ति बताई धैर्य का पढ़ाया पाठ

उनसे सीखा सब जीवट और उन्हीं से आशावाद

वो नहीं तो रिश्ते नाते सब लगें अधूरे से

एक वो जो थीं तो रहा मायका सकल आबाद

जीते जी संवारे मेरे जीवन के रास्ते

नभ के परे से भी देखो बरसातीं आशीर्वाद

स्वप्न जो भी देखे थे साथ मिलके दोनों ने

एक एक कर रखेंगे हर सपन की बुनियाद

“गीत” अब कौन सुने मन की सब बिथा कथा

सबसे कहां संभव है अनकही का अनुवाद

— प्रियंका अग्निहोत्री “गीत”

प्रियंका अग्निहोत्री 'गीत'

पुत्री श्रीमती पुष्पा अवस्थी