राजनीति

देश भक्ति का पैमाना

देश के हर व्यक्ति की भारतीय होने की परिभाषा एक जैसी है, मगर देशभक्ति के पैमाने अलग-अलग हो सकते है। आजकल कुछ लोग सच्चे भारतीय और देश भक्त होने का दांवा करते हैं और वही लोग अपने धर्म और जात के अलावा अन्य धर्म-जात के लोगों से नफरत करते दिखाई देते हैं। अपनी इस नफरत की आग में वो तरह-तरह के मुद्दों को उठाकर घी डालने का काम करते है, जबकि यही लोग देश के कई कानूनों का सही से पालन तक नहीं कर पाते है।

दुनिया का कोई भी देश वहां के लोगों से बनता है। अगर किसी देश की जनता गरीबी, भुखमरी, अत्याचार और महंगाई आदि से परेशान है तो मान लीजिए वह देश या तो किसी तानाशाह राजा का गुलाम है या फिर वहां के राजनेताओं ने उस देश के लोगों को अपना गुलाम बनाकर रखा है।

अपार संसाधनों और सेवाओं का उपभोग करने वाले राजनेता और उनके चेले-चपाटे ही सच्चा देश भक्त होने का झूठा दंभ भरते है। एक गरीब नागरिक ईमानदारी से मजदूरी कर दो वक्त की रोटी खा रहा है, तो क्या यह सच्ची देश भक्ति नहीं है ?  शायद नफरती चींटुओं के अनुसार यह सच्ची देशभक्ति नहीं होगी, मगर एक सच्चे देश भक्त होने के लिए आपको बस ईमानदारी से अपना काम करना होता है। हाँ आपका काम देश व संविधान के विरुद्ध ना हो और मानवता के खिलाफ ना हो। बाकी अपनी देशभक्ति को नफरती लोगों के पैमाने से मत मापिए। देश का हर जिम्मेदार नागरिक देशभक्त है और रहेगा। देश के किसी भी देशभक्त को नफरती चिंटुओं के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है।

— दीप खिमुली 

दीप खिमुली

स्वतंत्र लेखक व पत्रकार दिल्ली