कविता

बेहद है जरूरी

मन में मौज रहे, तन में ओज रहे,
हर हाल में खुश रहना है जरूरी,
होश के साथ जीवन में जोश रहे,
तनाव से दूर रहना बेहद है जरूरी।

मन सरल और सन्तुष्ट रहे,
छल-कपट से दूरी है जरूरी,
सजग रहना, शिद्दत से प्रयास,
भलाई करना बेहद है जरूरी।

जिंदगी हो सही मायने में जिंदगी,
रिश्तों का गणित समझना है जरूरी,
रिश्तों की पाठशाला को चलाने हेतु,
तन-मन स्वस्थ होना बेहद है जरूरी।

धरती-सा धैर्य, सागर-सा गंभीर होना,
अम्बर-सा विशाल हृदय होना है जरूरी,
बांटने से वर्धित होती हैं खुशियां,
स्नेह से सराबोर होना बेहद है जरूरी।

जरूरी, मीठा-सच्चा, कम बोलना,
तोल-मोलकर बोलना है जरूरी,
चिकना, गरिष्ठ, जंक फूड न खाना,
तन-मन में मेल होना बेहद है जरूरी।

— लीला तिवानी

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244