ये अनुपम सिक्के
बड़े काम के हैं उम्मीद के सिक्के,
साहस का पर्याय हैं उम्मीद के सिक्के,
जीना बहुत आसान बन जाता है जब,
जेब में हों चंद खनकते उम्मीद के सिक्के।
जतन से सहेज कर रखिए, ये अनुपम सिक्के,
आशा के शुभ दीप जलाते, ये अनुपम सिक्के,
मन में नहीं निराशा आए, जले जब ज्ञान की ज्योति,
उन्नति की राह रोशन करते, ये अनुपम सिक्के।
मंजिल पानी है तो, उम्मीदों की नाव बनालो,
उम्मीदों के हरित-हरित कालीन तो बिछाओ,
उन पर तपिश का आनंद लेते सूर्य की तस्वीर,
उम्मीदों से पार उतरकर, अपनी तकदीर बनाओ।
आशा की किरणें उम्मीदों को रोशन करती हैं,
निराशा की जड़ों को समूल नष्ट करती हैं,
नहीं कभी भी मन में रखिए व्यर्थ की अपेक्षाएं,
उम्मीद की उज्ज्वल झलक से मन मगन करती हैं।
— लीला तिवानी