कड़वा सच
सच्चाई है,
ज़िन्दगी की परछाई से ही,
लाती है खुशियां,
हम कह सकते हैं,
यही जिंदगी की गहराई है।
अच्छे उपकार को याद नहीं करतें हैं लोग,
समस्याएं खत्म हो,
प्रवाह में नहीं बहते हैं लोग।
उपकार को साकार करना मुश्किल है,
समस्याएं बताएंगे लोग,
एतबार नहीं करते हैं लोग।
कुछ देर बाद ही,
सब भूल जाते हैं लोग,
बस अपनी सुरक्षा पर,
बहसबाजी में लगें रहते हैं लोग।
समर्पण मेहनत जोश में,
आकर मददगार बनने की तमाम हसरतें,
आज़ फिकी पड़ रहा है।
उम्मीदों पर विराम मानो लग रहा है।
अच्छाईयां अक्सर ख़ोज करने पर,
नहीं दिखाई देती है।
एहसान फरामोश करने वालों की लम्बी कतार,
बड़ी सुर्खियां बटोरने में व संग- संग,
ख़बरें बनातीं रहतीं हैं।
यही कारण है कि सब लोग,
मीठी सी गुदगुदी करतें हैं।
मुश्किल वक्त में छिपकर,
सब चीजों पर नज़र रखतें हैं।
अहसास हुआ कि सब लोग वैसे नहीं है,
कुछ कड़वे सच को,
सही मायने में सहयोग समझते हैं।
ज़िन्दगी की तमाम हसरतें,
पूरी हो,
यही कोशिश करने में,
सब लोग अक्सर नज़र आते हैं।
— डॉ. अशोक