कविता

किताबों का दर्द

किताब हूं,

पढ़ने वाला कोई नहीं

लिखने के नाम पर

अब तक करोड़ो किताबे

छप चुकी हैं, 

बस गिनती के ही

कुछ किताबें

कोई डिग्री के लिये

कोई सिर्फ

इतिहास में नाम

दर्ज करवाने के

लिख दिया गया,

अब ना किताबों से 

विस्फोट होता

ना जलती क्रांति की

ज्वाला, 

ढेर सारा किताब

पुस्तकालय में धूल

खाते हुये

लिखने वाले की

विचारों को दफना दिया,

— अभिषेक राज शर्मा

अभिषेक राज शर्मा

कवि अभिषेक राज शर्मा जौनपुर (उप्र०) मो. 8115130965 ईमेल as223107@gmail.com indabhi22@gmail.com