बड़ा भारी चुनाव है
कहीं पर कोई अभिनेत्री से डर रहा
कोई दो जगह से नामांकन भर रहा
दिन रात एक कर रहा जीत के लिए
भगवान से यही दुआ कर रहा
कोई नहीं जानता वोटर का किधर झुकाव है
लोग कहते हैं इस बार बड़ा भारी चुनाव है
चार सौ पार का नारा कोई लगा रहा
कोई एक को कोई दूसरे को चोर बता रहा
अपने गिरेबान में कोई झांकता नहीं
दूध का धुला खुद को दिखा रहा
दल छोड़ने की होड़ है जिनका मन मुटाव है
लोग कहते हैं इस बार बड़ा भारी चुनाव है
लोगों को वायदों से हर दल लुभा रहा
कड़वी जुबान के कोई तीर चला रहा
खुद का भाषा पर नियंत्रण नहीं कोई
दूसरों को मर्यादा में रहने का पाठ पढ़ा रहा
सौहार्द के वातावरण को कर रहा खराब है
लोग कहते हैं इस बार बड़ा भारी चुनाव है
सत्ता प्राप्ति के लिए कोई कुछ भी कर रहा
तानाशाही दिखाकर कानून से भी नहीं डर रहा
महंगाई बेरोजगारी पर मन्दिर मस्जिद भारी है
महंगाई से आम आदमी तिल तिल मर रहा
लोगों को आपस में लड़ा रहा जनाब है
लोग कहते हैं इस बार बड़ा भारी चुनाव है
ए सी में बैठने वाले खूब पसीना बहा रहे
करोड़ों की गाड़ियों में घूमने वाले पैदल आ जा रहे
पसीने से जिसके कभी आती थी बदबू
आज उसी को कस कर गले लगा रहे
लोगों से सत्ता के लिए यह कैसा जुड़ाव है
लोग कहते हैं इस बार बड़ा भारी चुनाव है
— रवींद्र कुमार शर्मा