गीत/नवगीत

जाने की तैयारी है

नहीं कोई है, संगी-साथी, नहीं किसी से यारी है।
जहाँ जरूरत, वह खुबसूरत, जाने की तैयारी है।।
जहाँ भेज दें, वहीं जाएँगे।
सेवा से संतुष्टि पाएँगे।
नहीं कोई इच्छा है अपनी,
शिक्षा प्रसार के, गीत गाएँगे।
समावेशी शिक्षा मिले सबको, लगाएँ ऊर्जा सारी है।
जहाँ जरूरत, वह खुबसूरत, जाने की तैयारी है।।
भाषा की बाधा न रहेगी।
मात्र-भाषा में शिक्षा मिलेगी।
कक्षा कक्ष से बाहर जाकर,
अनुभव से भी सीख फलेगी।
बहुविधि आकलन करने हेतु अब, आई परख की बारी है।
जहाँ जरूरत, वह खुबसूरत, जाने की तैयारी है।।
जन-सेवक हम सारे शिक्षक।
शिक्षार्थी भी, साथ परीक्षक।
नवाचार कक्षा में कर अब,
निपुण बनें, छात्र और शिक्षक।
सब-शिक्षित और कुशल बनेंगे, नर हों या फिर नारी है।
जहाँ जरूरत, वह खुबसूरत, जाने की तैयारी है।।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)