कविता

खून के रिश्ते

वक्त ही वक्त में सब कुछ जताता है,

अपनों के बीच कितना लगाव है

व्यवहार सब कुछ खुलकर बताता है,

एक समय में ऐसा लगता था,

एक दूसरे में जान बसता था,

जिंदगी में सब आगे बढ़ने लगे,

सब अपना भविष्य गढ़ने लगे,

पर परिस्थितियां सदा एक सा नहीं होता,

केवल हंसना भी साथ रहे जरूरी नहीं

समय आने पर दिख जाता है रोता,

जब अपने हमेशा के लिए छोड़कर जाते हैं,

सबको रह रह रूलाते है,

तब सबकी भावनाएं एक जैसी हो जाती है,

एक दूजे के अहित न होने की याद आती है,

उस दिन महसूस होता है कि

खून के रिश्ते झटकों से नहीं टूटते,

व्यवहार में भले नजर आए पर

बंधनों का जाल ऐसा होता है

जो हमेशा के लिए नहीं रूठते।

— राजेन्द्र लाहिरी

राजेन्द्र लाहिरी

पामगढ़, जिला जांजगीर चाम्पा, छ. ग.495554