ग़ज़ल
नया ताज़ा फ़साना चाहता हूँ।
विगत को भूल जाना चाहता हूँ।
सुगम रस्ता बनाना चाहता हूँ।
सभी काँटे हटाना चाहता हूँ।
नहीं कुछ भी पुराना चाहता हूँ।
नयी दुनिया बसाना चाहता हूँ।
फतह परचम उठाना चाहता हूँ।
पराजय को भुलाना चाहता हूँ।
अभी दिल ने नहीं है हार मानी,
ज़माने को बताना चाहता हूँ।
— हमीद कानपुरी