कविता

तरु और एसी

हम हैं सुविधा- भोगी मानव,
क्यों हम पेड़ लगाएं?
मुफ्त में दो या चंद रूपये में,
कहाँ उन्हें हम उगाएँ?

नहीं है भूमि, नहीं जगह है l
पानी रोज कौन देगा?
कहते हो तुम ,गर्मी बढ़ेगी l
एसी कूलिंग देगा ll

सर्द गर्म, अस्थियों का हो चूरा l
अभी तो हम जी लेंगे l
क्या कहते हो कल की सोचो?
कल की कल देखेंगे ll

ऐसी सोच हैं रखने वाले
अस्सी प्रतिशत धरतीवासी l
तभी तापमान पचास के लगभग ,
सूरज ने आग लगा दी ll

एक-एक पेड़ लगाओ प्यारे l
तापमान सम्भलेगा l
एसी गर्मी और बढाएगा l
अंबर भी आग उगलेगा ll

पेड़ लगाओ, जहाँ जगह मिले l
सड़कों के ही किनारे l
नित उसकी देखरेख करो l
वह पृथ्वी को जीवन देगा ll

— बृज बाला दौलतानी