दिव्यांग जन
दिव्यांग जन की बड़ी चुनौती
शिक्षा. स्वास्थ्य और रोजगार।
समुचित यत्नों के अभाव में
जीवन बन जाता है भार।
पहुँच न होती दिव्यांगों की
रहते योजनाओं से दूर।
काट – काट आफिस के चक्कर
हो जाते हैं चकनाचूर।
वाहन, निज आवास की सुविधा
पाने को करते संघर्ष।
कष्टों का यदि समाधान हो
देखें जीवन का उत्कर्ष।
तकनीकी सुविधा से सज्जित
मिल जाएँ उपकरण सभी।
साइकिल, पहिया – कुर्सी, स्टिक
बैसाखी का लाभ तभी।
प्रोस्थेसिस-आर्थोसिस साथ ही
श्रवण यंत्र भी बहुत जरूरी।
यंत्र आधुनिकीकरण से होंगी
उनकी सब आवश्यकताएँ पूरी।
दृष्टिबाधितों को मिल जाए
स्वदेश निर्मित ‘सुगम्य छड़ी’।
तब उनके कुटुंब में आए
राहत देने वाली घड़ी।
3-डी माडलिंग साफ्टवेयर
उच्च डिजाइन क्षमता साथ।
3-डी सेटिंग कंप्यूटर पर
दिखलाएँ कौशल के हाथ।
सुलभ बनाएँ सार्वजनिक स्थल
सुगम सहायक परिवहन प्रणाली।
दिव्यांगों को मिले प्रशिक्षण
तभी बनेंगे क्षमताशाली।
— गौरीशंकर वैश्य विनम्र