गीतिका/ग़ज़ल

सलोने स्वप्न

दर्शन के लिए दूर से, आए हैं देखिए। कितने सलोने स्वप्न, सजाए हैं देखिए। बरसेंगे या उड़ेंगे, कभी कुछ पता नहीं बादल घने – काले बहुत, छाए हैं देखिए। मेला लगा कलियों का, सुभग वाटिका के बीच तितली – भ्रमर भी. इत्र लगाए हैं देखिए। कम आय में परिवार को, है  पालना कठिन सिर पर […]

बाल कविता

सप्ताह के दिन

दिन सप्ताह में होते सात आओ! सीखें अच्छी बात प्रतिदिन का है अलग ही नाम मन से करना अपने काम प्रथम दिवस होता रविवार छुट्टी है, न सिर पर भार सोमवार से है स्कूल समय से जाना, करें न भूल मंगलवार को मंगल करना किसी जीव को तंग न करना बुधवार को बुद्धि बढ़ाएँ पढ़ […]

गीतिका/ग़ज़ल

रोटी

सुंदर गोल – गोल है रोटी जीवन में अनमोल है रोटी पतली हो अथवा मोटी हो भूखे हित बड़बोल है रोटी जोड़ – तोड़ दुनियादारी सँग पढ़ा रही भूगोल है रोटी पाप – पुण्य के रंग चढ़ाकर देती सबको झोल है रोटी एक तुला पर धनी – रंक को रखकर देती तोल है रोटी सबसे […]

कविता

पता है मुझको भी

शत्रु करेंगे घात, पता है मुझको भी कब दिन है, कब रात, पता है मुझको भी बचने हित आए पक्षी, उड़ जाएँगे थमते ही बरसात, पता है मुझको भी वह सारा अपराध ले रहा अपने सिर क्या है सच्ची बात, पता है मुझको भी हरा – भरा है वृक्ष, मुदित है पतझड़ तक झड़ जाएँगे […]

गीतिका/ग़ज़ल

नदियाँ

धरती को सरसातीं नदियाँ दूर – दूर तक जातीं नदियाँ उद्गम स्थल से निकली हैं लहर – लहर कर गातीं नदियाँ शाँत और निर्मल होती हैं जीवों को दुलराती नदियाँ पथ में आते कंकड़ – पत्थर तनिक नहीं भय खातीं नदियाँ हर पल चलती ही रहती हैं सागर में मिल जातीं नदियाँ माँ जैसी प्यारी […]

गीतिका/ग़ज़ल

आशा का घट

जल्दी नाता तोड़ो मत मित्रों से मुँह मोड़ो मत साथ चल रहे वर्षों से बीच राह में छोड़ो मत भूल और भ्रम में पड़कर आशा का घट फोड़ो मत जानबूझकर दुष्टों से संबंधों को जोड़ो मत नींबू सारा निचुड़ गया कसकर और निचोड़ो मत रोकर बच्चा सोया है जोर से उसे झिंझोड़ो मत गायेगी नन्हीं […]

मुक्तक/दोहा

होली की शुभकामना

रंगों के शुभ पर्व में, खूब खिलेंगे रंग बैठेंगे मिल प्रेम से, जब अपनों के संग होली में मिल जाएँगे, कबसे रूठे मित्र डूबें रंग – गुलाल में, होली पर्व विचित्र बुरा न कोई मानता, खूब खेलिए रंग सबके मन पर छा रही, मस्ती और उमंग नयन नशीले – से लगे, अधरों पर मुस्कान मदिरा […]

गीतिका/ग़ज़ल

भाती क्यों है 

हवा कक्ष में आती क्यों है इतना भाव दिखाती क्यों है नहीं गरजना, नहीं बरसना नभ में बदली छाती क्यों है छिपकर बैठी है डालों में मैना मधुरिम गाती क्यों हैं टूट – टूट जाते हैं सहसा आशा स्वप्न सजाती क्यों है कुछ दिन खिली खेत में सरसों गेंहूँ से इठलाती क्यों है भाग्य न […]

बाल कविता

हेल्मेट

पिता जा रहे थे बाजार स्कूटी पर हुए सवार तभी वंश ने सहसा रोक हेल्मेट कहाँ , दिया था टोक माना जाना नहीं है दूर सिर पर हेल्मेट रहे जरूर हो सकती सड़कों पर फिसलन गड्ढे बन सकते हैं अड़चन जिसने हेल्मेट नहीं लगाया उसने संकट पास बुलाया धूल – धुएँ से नेत्र बचाता घर […]

बाल कविता

धूप

सुंदर पीली – पीली धूप कितनी छैल छबीली धूप इससे मिले विटामिन डी निद्रा दे सपनीली धूप तन का भार घटा देती बिन पैसे चटकीली धूप प्रतिदिन धूप – स्नान करें सुखप्रद लगे सुरीली धूप खूब जलाती गर्मी में ज्यों माचिस की तीली धूप सर्दी में हलवा जैसी वर्षा में है सीली धूप बदली में […]