एक पिता की बेटी
पता नहीं मां के जज्बातों में
क्या स्थान रखती हो बेटी,
पर बाप के लिए तुम जान हो,
कुदरत का दिया हुआ प्यारी चीज
दो सौ प्रतिशत महान हो,
पता नहीं बेटी से महरूम लोग
बेटी के बिना कितना तड़पते हैं,
वो क्रूर हैं जो उनका हिस्सा हड़पते हैं,
बेटी बाप के लिए जान है,
कुदरत का दिया सबसे बड़ा वरदान है,
तुम्हारे बिना मेरी जिंदगी खाली है,
तुम हो तो मेरा हर दिन दीवाली है,
तुम जब भी किसी बाप की जिंदगी में आती हो,
ताउम्र के लिए छा जाती हो,
जो कहते हैं कि बेटी पराई है,
उस मूर्ख को कौन समझाए कि
वो तो पिता की उम्र बढ़ाने आयी है,
पर बेटी तुम बड़ी होती क्यों हो,
पापा के लिए सबसे ज्यादा रोती क्यों हो,
पिता से दूर होकर भी क्यों पास होती हो,
मेरे बिना क्यों उदास होती हो,
बेटी मेरे रग रग में बसा विश्वास है,
बेटी के साथ का हर लम्हा खास है,
लोग कब समझेंगे दुनियादारी को,
बेटी के बिना होती दुश्वारी को,
मैंने दिया है तुझे उड़ने को सारा आसमां,
तू जहां चाहे बना ले आशियां,
मुझे सिर्फ तेरा हंसता वजूद चाहिए,
मुझे तू और तेरा मकदूद चाहिए,
जानता हूं तुझे तेरे पिता का स्वाभिमान चाहिए,
पर मुझे तेरा जगमगाता अरमान चाहिए।
— राजेन्द्र लाहिरी