गीतिका/ग़ज़ल

हम सभी “राज” लेकर चले जाएंगे

झलक एक दे दो चले जायेंगें
इन कूंचो में फिर ना हम आएंगे

आखिरी एक सावन बरस जाने दो
बस यूँ ही तर बतर हम हो जाएंगे

अरमानों की अंतिम ये दहलीज है
न मिलेंगे दर बदर हम हो जाएंगे

चिलमनों पे जरा हाथ फेरो सही
फिर हम नजर न यहाँ आएंगे

फ़साने सभी अब दफ़न हो गये
हम सभी “राज” लेकर चले जाएंगे

जुल्मी बहुत ये जहां हो चुका है
सितम पे सितम सब ढा जाएंगे

जब तेरी नजर डब डबा जाएगी
तभी याद में हम आ जाएंगे

राजकुमार तिवारी “राज”
बाराबंकी उत्तर प्रदेश

राज कुमार तिवारी 'राज'

हिंदी से स्नातक एवं शिक्षा शास्त्र से परास्नातक , कविता एवं लेख लिखने का शौख, लखनऊ से प्रकाशित समाचार पत्र से लेकर कई पत्रिकाओं में स्थान प्राप्त कर तथा दूरदर्शन केंद्र लखनऊ से प्रकाशित पुस्तक दृष्टि सृष्टि में स्थान प्राप्त किया और अमर उजाला काव्य में भी सैकड़ों रचनाये पब्लिश की गयीं वर्तामन समय में जय विजय मासिक पत्रिका में सक्रियता के साथ साथ पंचायतीराज विभाग में कंप्यूटर आपरेटर के पदीय दायित्वों का निर्वहन किया जा रहा है निवास जनपद बाराबंकी उत्तर प्रदेश पिन २२५४१३ संपर्क सूत्र - 9984172782