हम सभी “राज” लेकर चले जाएंगे
झलक एक दे दो चले जायेंगें
इन कूंचो में फिर ना हम आएंगे
आखिरी एक सावन बरस जाने दो
बस यूँ ही तर बतर हम हो जाएंगे
अरमानों की अंतिम ये दहलीज है
न मिलेंगे दर बदर हम हो जाएंगे
चिलमनों पे जरा हाथ फेरो सही
फिर हम नजर न यहाँ आएंगे
फ़साने सभी अब दफ़न हो गये
हम सभी “राज” लेकर चले जाएंगे
जुल्मी बहुत ये जहां हो चुका है
सितम पे सितम सब ढा जाएंगे
जब तेरी नजर डब डबा जाएगी
तभी याद में हम आ जाएंगे
राजकुमार तिवारी “राज”
बाराबंकी उत्तर प्रदेश