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अंतस् की 58वीं काव्य-गोष्ठी

अंतस् की 58वीं काव्य-गोष्ठी में अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए प्रसिद्ध कवि रसिक गुप्ता ने अंतस् के प्रयासों की सराहना करते हुए यह दोहा पढ़ा।
“पांच बरस में बन गयी, सब नैनन का नूर।
जोश और उल्लास है अंतस् में भरपूर।।”
साथ ही सभी उत्तम प्रस्तुतियों को रेखांकित करते हुए आशु रचनाओं द्वारा कवि-कवयित्रियों का मनोबल बढ़ाया।
“मैं मानती हूँ कि पानी के विकल्प के रूप में
तालाब है, हैंडपंप है, कुँआ है
पर दुनिया की हर बड़ी सभ्यता का जन्म
मेरे ही किनारे पर हुआ है
और होता है ना जब हम दो बहनों का संगम
तो दोनों साथ साथ चल पड़ती है एक ही धारा में
यही हमारा संस्कार है
और देख तो जरा तू खुद से सटे किसी पर्वत को
तुम दोनों भाइयों के बीच में कितनी गहरी दरार है.”
नदी पर इस संजीदा शोधपरक गीत के अतिरिक्त प्रदूषण-संदर्भित हास्य-व्यंग्य कविता भी पढ़ी।
मुख्य अतिथि का दायित्व निभाया पिलखुवा के कविवर अशोक गोयल ने.
कौन तीनों लोकों में तेरे समान माँ
तुझसे बड़ा है कौन जहां में महान माँ
धरती समान बोझ उठाती रही है तू
तेरे समक्ष नत हुआ है आसमान माँ

बतौर विशिष्ट अतिथि मशहूर शायर और नाज़िम दानिश अयूबी ने शिरकत की.
बुजुर्गों से सुना है काम आती है मिलनसारी
हम अपने दुश्मनों को प्यार से अपना बनाते हैं
मुहब्बत, प्यार, भाईचारगी, इख़्लास, हमदर्दी
हम इन फूलों से आओ एक गुलदस्ता बनाते हैं।

संयोजन-संचालन रहा अंतस्-अध्यक्ष पूनम माटिया का जिन्होंने रोचक एवं सुगठित संचालन के अतिरिक्त काव्य पाठ के दौरान लुप्त-पर्याय विधा लोरी पढ़ी और एक रिवायती ग़ज़ल भी
हो जब बड़ा मान सबका बढ़ाये
निंदिया कुछ ऐसी तू घुट्टी पिला जा ..लोरी से
वो जो दूर थे , बड़ी चाह थी जो मिले तो ख़त्म है आरज़ू
वो नदी थी तेज़ उफ़ान की, जो हौले-हौले उतर गयी ..ग़ज़ल से

वरिष्ठ उपाध्यक्ष अंशु जैन ने संस्था की गतिविधियों से अवगत कराया और शीघ्र ही पांच बरस पूरे होने पर बधाई एवं शुभकामनाएं दीं।
साथ ही ममता लड़ीवाल जी, सोनम यादव जी, सुरेन्द्र शर्मा जी, राम देव शर्मा राही ने ग़ाज़ियाबाद, जयपुर, मथुरा से शामिल हो कर शानदार प्रस्तुतियां दीं ।

प्राणों का महकेगा मधुबन,
उस दिन गाएगा मेरा मन।..गीत से
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जिंदगी की इस डगर में, दुख हमेशा आएँगे।
मुस्करा कर देख लोगे, दुख भी शरमा जाएँगे।।..गीत से..सुरेन्द्र शर्मा, जयपुर

दिल में समा के कोई दिले–ज़ार ले गया,
दुश्मन को मेरे दोस्त तू बेकार ले गया।.. रामदेव शर्मा “राही”,छाता, मथुरा

जीत जाऊँ गर मैं तुझसे तो भी क्या मैं ख़ुश रहूँगी ?
नियति है जब हारना तो जीत कर भी हार पाऊँ..ममता लड़ीवाल

विशेष बात रही कि डॉ दिनेश कुमार शर्मा, सुनीता अग्रवाल, डॉ सरिता गर्ग तथा अन्य कई सुधि श्रोता भी उपस्थित रहे

— डॉ. पूनम माटिया

डॉ. पूनम माटिया

डॉ. पूनम माटिया दिलशाद गार्डन , दिल्ली https://www.facebook.com/poonam.matia [email protected]