मुक्तक/दोहा

मानवता

मानवता तो मानवीय जीवन का सार है,
सच कहूं यही सबके जीने का आधार है,
जानवर सीखा रहे हम सबको इंसानियत
क्या क्या देखना पड़ रहा, यहीं संसार है?

— राजेन्द्र लाहिरी

राजेन्द्र लाहिरी

पामगढ़, जिला जांजगीर चाम्पा, छ. ग.495554