कविता

मौन व्रत तोड़ दूंगा

मेरी बात ध्यान से सुनिए
अनर्गल मिथ्या आरोप न लगाइए।
वरना मैं भी मौनव्रत तोड़ दूंगा
एक एक आरोप का विस्तार से जवाब दूंगा,
सबको सरेआम  नंगा कर दूंगा।
इतना ही नहीं सारी सीमाएं तोड़ दूंगा
किसी को भी नहीं छोड़ूंगा
पिछली दस पीढ़ियों तक का चाल चरित्र चेहरा
सारी दुनिया को बता दूंगा,
प्रेस कांफ्रेंस कर सबको बेनकाब कर दूंगा।
मैं मौन हूं इसका मतलब ये तो नहीं
कि मैं मौन रहकर सब कुछ चुपचाप सुनता रहूंगा
और कोई कुछ भी कहे
मैं कुछ भी नहीं बोलूंगा।
जरुर बोलूंगा, मौन व्रत तोड़ दूंगा
ईंट से ईंट बजा दूंगा
मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ूंगा
तुम सबके अरमानों का गला घोट दूंगा।
किसकी कितनी औकात है सबको बता दूंगा।
इस गुमान मत रहना कि मुझे कुछ पता नहीं।
सबकी जन्म कुंडली तैयार है
उसे सार्वजनिक कर दूंगा,
हाथों में कटोरा थमा दूंगा
भीख मांगने पर मजबूर कर दूंगा
जिस दिन मैं मौन व्रत तोड़ दिया मैंने
एक नया भूचाल ला दूंगा।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921