कविता

अनुज सुधीर

हे बन्धु ! हमें है अचरज होता तुम कितना मेहनत करते हो
अभी तो तुम इस पटल पर थे उस पटल पर पहुंचे कैसे हो।
तेरे मेहनत को करूं सलाम
तेरी जीजिविषा को प्रणाम।
दुनिया में और भी नाम करो
साहस के बल पर तुम अपने
और भी अच्छा काम करो।
तुम सदा सदा बढ़ते जाओ
जीवन पथ पर बढ़ मुस्काओ
कोई भी बाधा न रोके तुम्हें
कोई दुर्जन न टोके तुम्हें
तुम विजय मार्ग चलते जाओ
सबके प्यारे बनते जाओ।
एक बहन देती आशीष तुम्हें
तुम शीघ्र स्वास्थ्य लाभ पाओ।

— पार्वती देवी “गौरा” देवरिया

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921