मेरे भैया के लिए मेरे भाव सुमन
तुम शांत, सौम्य, गंभीर, धीर
करुणामय, हृदय, कोमल, “सुधीर”।
अनुभूति में तव है,सबकी पीर।
विराट व्यक्तित्व को समर्पित,
अनुजा “अणिमा” के श्रद्धा नीर।
लाखों करोड़ों में मेरा भईया,
जैसे बेशकीमती नगीनों में हो कोहिनूर।
पारस पत्थर सा भ्राता पाकर,
हुई है अणिमा कंचन।
विधाता की महिमा जानकर,
करती आत्म मंथन।
आपकी अनुजा
— अणिमा श्रीवास्तव “शुक्रगुजार”