अपना देश
कितना सुंदर हैं अपना देश,
क्यों ललचाए हमें विदेश?
कलकल बहती गंगा-यमुना धारा,
पावन संस्कृति, सृष्टि सौंदर्य अशेष।।
मुकुट-सा हिमालय खडा शान से,
चरण पखारे हिंद महासागर प्रेम से,
नंदनवन कश्मीर, मनोहर वादियां,
सजी-धजी धरती रंग बिरंगे फूलों से।।
धरा, गगन, खिली-खिली प्रकृति,
वैदिक संस्कार, सनातन संस्कृति,
योग-ध्यान का विश्व को देती संदेश,
धर्म, जीव दया, करुणा, भाव-भक्ति।।
अद्भुत शिल्प, कलाकृतियां अप्रतिम,
सुंदर कलाकुसर, सजावट अनुपम,
भले घुमो, यहां-वहां, देखो विविध देश,
करे भारत दर्शन, पुनीत चारों धाम।।