अनुराग
विनय, विवेक जैसे माणिक मोती,
शुभ भावना जगमग जीवन ज्योति,
मिश्री-सी मीठी बोली, रेशम बंधन,
प्रेम-अनुराग, दुलार, मृदुल स्पंदन।।
सेवा-सुश्रुषा,साधना, हो सत्कर्म,
जीव दया, करुणा मानव धर्म,
हो संयम, सहयोग, सहृदयता,
न दंभ, दर्प, अहंकार, दानवता।।