कविता

छड़ी लौटा दीजिये एक बार

लौटा दीजिये अध्यापक के हाथ में छड़ी
फिर देखिए उसकी ताकत का कमाल
बहुत सुधार आएगा आने वाली पीढ़ी में
सही हो जाएंगे फिर सबके सुर और ताल

पंगु बना दिया अध्यापक को खोल दो जरा हाथ
सरकार मां बाप सब दें यदि अध्यापकों का साथ
छोटी छोटी बातों पर उनसे बन्द करें तकरार
आपके सामने होगी नए भविष्य की शुरुआत

छड़ी के डर से गलत काम छूट जाएंगे
बिगड़ रहें हैं जो वह सीधे रास्ते पर आएंगे
बचपन से यदि डर होगा डंडे और थप्पड़ का
भविष्य सुधर जाएगा चिट्टा नहीं खाएंगे

कौन सा बच्चा कैसा है यह सब है वह जानता
कुछ बोल नही पाता बच्चे की रग रग है पहचानता
सही क्या गलत क्या घर में कोई बताता नहीं
तभी तो बच्चा उदंड हो गया किसी की नहीं मानता

बचपन से जब छड़ी का डर होगा उनमें सुधार आएगा
थोड़ी सी छूट दे दो भविष्य सुधर जाएगा
किसी भी सुधार के लिए डर है बहुत जरूरी
छड़ी के डर का फल पूरा समाज पायेगा

— रवींद्र कुमार शर्मा

*रवींद्र कुमार शर्मा

घुमारवीं जिला बिलासपुर हि प्र