गीत/नवगीत

स्वागत में पति बैठे हैं

बेटी को हम बेटी समझें, भार मान क्यूँ बैठे हैं।
कोरे हम आदर्श बखानें, व्यर्थ ही उससे ऐंठे हैं।।
जिस घर में है जन्म लिया।
जिस घर को है प्रेम दिया।
भूल से भी, ना कहना पराई,
बसता उसका वहाँ जिया।
बेटी है, पूरा हक उसका, सब उसके दिल में पैठे हैं।
कोरा हम आदर्श बखानें, व्यर्थ ही उससे ऐंठे हैं।।
बचपन में है प्रेम लुटाया।
किशोर अवस्था पाठ पढ़ाया।
कण-कण में अधिकार है उसका,
प्रेम से सींचा, प्रेम बढ़ाया।
दहेज का तो विरोध हो करते, संपत्ति दबाए बैठे हैं।
कोरा हम आदर्श बखानें, व्यर्थ ही उससे ऐंठे हैं।।
बेटी-बचाओ, बेटी पढ़ाओ।
सम्मान, साथ, अधिकार दिलाओ।
वारिस बेटियों को स्वीकारो,
सहभाग करो, सहभागी पाओ।
पितृ गृह में अधिकार हो पूरा, स्वागत में पति बैठे हैं।
कोरा हम आदर्श बखानें, व्यर्थ ही उससे ऐंठे हैं।।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)