कविता

वट सावित्री व्रत

नारी के अपनत्व त्याग का
सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है, वट सावित्री व्रत।
जीवन साथी के दीर्घायु के लिए
सुगागिनें करती हैं वटवृक्ष की पूजा।
और याद करती हैं सावित्री को
जिसने अपने सत्य धर्म से
पतिदेव सत्यवान का प्राण
वापस करा लिया था यमदेव से
सत्यनिष्ठा और सतीत्व के सहारे
वटवृक्ष के नीचे।
ज्येष्ठ मास की  कृष्ण अमावस्या को
महिलाएं करती व्रत, पूजन संग
यमदेव की पूजा, आराधना
और माँगती है यमराज से
अखंड सुहाग का वरदान।
महान है हमारा देश
हमारी सभ्यता और संस्कृति
अनोखी है हमारी मान्यताएं
अद्भुत है हमारी परंपराएं
जहाँ वृक्ष भी पूजे जाते हैं
और नदियां, कूप, धरा, प्रकृति भी
देवी देवताओं सरीखे
आस्था और विश्वास से
बिना किसी शंका संकोच के।
और उतनी ही महान हैं हमारी मातृशक्तियाँ,
जिनकी बदौलत जिंदा है
हमारे देश की विविधता, मान्यताएं
और अनवरत जारी है
अटूट आस्था की अविराम यात्रा।
धन्य है ये भारत देश
जहां कण कण में है ईश्वरीय समावेश
और हर भारतीय का अद्भुत त्याग विश्वास।
कुछ ऐसा ही तो है
वट सावित्री व्रत का अनुपम परिवेश।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921