चुनाव के बाद अयोध्या
चुनाव के बाद अयोध्या मायूस है, निराश है
अविश्वास के भंवर में तैर रही है,
आरोप, प्रत्यारोप का दंश झेल रही है,
कल तक उल्लासित अयोध्या का जनमानस
आज अपने ऊपर लग रहे आरोपों से हैरान है
अनर्गल आरोप और चुभने वाले विचारों से परेशान हैं।
जो आज अयोध्यावासियों को
रामद्रोही और जाने क्या क्या कहा जा रहा है
वे बेशर्म आखिर खुद में क्यों नहीं झांक रहे हैं?
अयोध्या के ठेकेदार भला क्यों बन रहे हैं?
किसने उन्हें यह अधिकार दिया है,
जो आज बड़े बुद्धिमान बन रहे हैं।
कल जब अयोध्या हैरान परेशान थी
अयोध्यावासी तमाम झंझावात, प्रतिबंध,
और बंदिशों में किसी तरह जी रहे थे,
फिर भी राम जी पर विश्वास कर सब सह रहे थे
तब आरोप लगाने वालों तुम कहाँ थे?
अयोध्या या अयोध्यावासियों के साथ
कब, कहाँ और कितना देर खड़े हुए थे?
अयोध्यावासियों का कितना सहयोग, समर्थन किया था?
जब अयोध्या में दर्शनार्थियों, श्रद्धालुओं का टोटा था
तब अयोध्यावासियों की समस्याओं का
तुमने कितना ध्यान और समाधान किया था।
अयोध्यावासियों पर आरोप लगाने वालों
अपने चुनावी राजनीति का खुद इंतजाम करो
कौन हारा कौन जीता, क्यों हारा, कैसे जीता
अपने आप प्रबंध और विश्लेषण करो।
आखिर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का अपमान
अयोध्यावासियों की आड़ में क्यों कर रहे हो,
रामजी की अयोध्या को चुनावी हांडी क्यों समझ रहे हो?
वोट देना, न देना, किसको देना, क्यों देना
किसने पाया, क्यों पाया, कैसे पाया
इसका ठीकरा हम पर तो न फोड़ों।
अयोध्या हो या देश का कोई कोना
हर मतदाता का विशेषाधिकार है,
जिस पर ऊंगली उठाने का आपको क्या अधिकार है?
राम जी के प्रति श्रद्धा भाव रखने वालों
चुनावी गुणा गणित में उलझकर
अयोध्या और अयोध्यावासियों को बदनाम करना
क्या तुम्हारी समस्या का एक मात्र समाधान है
तुम्हें क्या लगता है कि अयोध्या नादान है?
यह और बात है कि हम तुम्हारी तरह
उच्चश्रृंखलता नहीं दिखा रहे हैं,
पर तुम्हारी सोच, बिना सिर पैर के आरोपों से
आहत और गमगीन जरुर हैं,
पर प्रभु राम जी की मर्यादा का सम्मान कर रहे हैं
इसलिए मौन रहकर वक्त का इंतजार कर रहे हैं
आज भी कर की ही तरह
राम जी का जयघोष कर रहे हैं
जय श्री राम जय श्री राम जप रहे हैं,
तुम्हारे बुद्धि विवेक के लिए राम जी से
माफी की प्रार्थना कर रहे हैं