प्राणवायु
“राम!राम! कुशवाहा जी, आप सुबह-सुबह बगीचे में क्या कर रहे हैं?” पड़ोस के राय जी ने गेट से आवाज़ लगायी।
“कुछ नहीं। सोचा, आज अवकाश है, तो कुछ पेड़-पौधे लगा लूँ। आप भी अपने लाॅन में कुछ फूलों के पौधे लगा लें। अच्छा लगेगा।”
कुशवाहा जी की बात सुनकर राय जी हँसते हुए बोले, “न भाई, मुझसे नहीं होता यह सब। मैं तो चला चुनाव का नतीजा देखने। आपका क्या अनुमान है? अबकी बार किसकी सरकार बनेगी?” राय जी ने पूछा।
“सरकार का क्या है? वह तो पाँच साल के लिए आयेगी फिर जायेगी। सरकार का आना-जाना तो लगा रहता है।” कुशवाहा जी की बात काटते हुए राय जी बोले,”कैसी बात करते हैं आप? देश के विकास के लिए मजबूत सरकार का होना जरूरी है। इसकी चिंता जागरूक नागरिक नहीं करेंगे, तो कौन करेगा?”
इसपर कुशवाहा जी ने उत्तर दिया, “आपकी बात सोलह आने सही है। विचार करें कि जब धरती पर इन्सान ही नहीं होंगे, तो कौन नेता? कैसा देश?”
— डाॅ अनीता पंडा ‘अन्वी’