अकेलापन
सोशल मीडिया से जुड़े हुए आज मुझे 1 साल हो गया है और 2022 का ये दिसंबर मुझे ये बता गया कि दुनिया में कितने ऐसे लोग हैं जिन्हे किसी के साथ की जरूरत है। ये अकेलापन नाम का “दानव” उन्हें अंदर ही अंदर खाए जा रहा है इस दानव के कारण लोग हर रोज घुट-घुटकर “जी” रहे हैं। उन्हें जरुरत है किसी के साथ की जिनसे वो अपनी बातों को सांझा कर सके। तरस आती है इन लोगों पर जिन्हे इतनी बड़ी दुनिया के इस भीड़ में एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिल रहा है जिसपर ये विश्वास कर सके और अपना दुख बांट सके। इन लोगों को दोस्त अपने आस-पास नहीं मिल रहे हैं और जिस दोस्त या साथी को अपने आस पास ढूंढना चाहिए ये उन्हें सोशल मीडिया पर ढूंढ रहे हैं। यहां कोई इनसे दो चार मीठी – मीठी बातें क्या कर लेता है। इनको गलतफहमी हो जाती है कि यहीं इनके लिए एकदम सही है और इस गलतफहमी की वजह से ही ये लोग अपराध का शिकार हो जाते हैं। “किसी इंसान के व्यवहार को समझने के लिए उससे बात करना काफी नहीं होता है।” इस बात को ये लोग नहीं समझ पाते और सामने वाले के जाल में फंस जाते हैं लेकिन इसमें गलती इनकी नहीं है ये लोग तो यही सोचते होंगे कि इन्हें एक ऐसा व्यक्ति ही मिल जाए जो भले ही इनकी समस्याओं का समाधान करने में समर्थ ना हो लेकिन इनकी बातों को सुने और समझे। इन अकेले लोगों के लिए तो यही बड़ी बात होगी कि कम से कम ये किसी से अपना दुख तो बांट ही सकेंगे। दुःख की बात तो ये है कि सोशल मीडिया भी हर किसी की सहायता नहीं कर पाता और इन बेबस लोगों के द्वारा अपने लिए एक अच्छे साथी की तलाश जारी रहती है। इस अकेलेपन रूपी दानव ने ना जाने कितने लोगों की जान ले ली है और आगे भी लेता रहेगा।
— ख्यालती टंडन