गीतिका/ग़ज़ल

पिता श्री देव समान

हर दर्द सह कर पिता जी , मुस्कुराते आप थे।
खुद रहते भूखे प्यासे हम को खिलाते आप थे।
पिता छांव बरगद सी रही सिर पर बांहें पसार,
ज़िंदगी‌ के हर दुख को सदा ही सहते आप थे।
दिल में चाहत यह, बच्चे हासिल करें मुकाम,
लम्बी सोच मन में लिए हमें पढ़ाते आप थे।
हम में भविष्य थे देखते ले कर मन में उमंग,
यही सोच के दिन रात, बोझ उठाते आप थे।
कसर छोड़ी कोई नहीं परवरिश की दिन‌ रात,
बीमारी की हालत में काम पर जाते आप थे।
करता हम को छांव था , खुद सहता था धूप,
मुसीबत आती जब कभी हमें बचाते आप थे।
फरिश्ता बनके संग रहा जो मांगा सो था दिया,
हमारे लिए आप पूजनी, एक विधाते आप थे।
संस्कार सिखाये आप ने दिया सत्य का ज्ञान,
निर्भय रहो हर ख़ौफ़‌ से हमें समझाते आप थे।
कितने आप महान थे पिता श्री देव‌ समान,
हर संकट की बेला में हमें राह दिखाते आप थे।

— शिव सन्याल

शिव सन्याल

नाम :- शिव सन्याल (शिव राज सन्याल) जन्म तिथि:- 2/4/1956 माता का नाम :-श्रीमती वीरो देवी पिता का नाम:- श्री राम पाल सन्याल स्थान:- राम निवास मकड़ाहन डा.मकड़ाहन तह.ज्वाली जिला कांगड़ा (हि.प्र) 176023 शिक्षा:- इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लोक निर्माण विभाग में सेवाएं दे कर सहायक अभियन्ता के पद से रिटायर्ड। प्रस्तुति:- दो काव्य संग्रह प्रकाशित 1) मन तरंग 2)बोल राम राम रे . 3)बज़्म-ए-हिन्द सांझा काव्य संग्रह संपादक आदरणीय निर्मेश त्यागी जी प्रकाशक वर्तमान अंकुर बी-92 सेक्टर-6-नोएडा।हिन्दी और पहाड़ी में अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। Email:. [email protected] M.no. 9418063995