कविता

कविता

तेरे जाने का गम मनाऊँ
या तेरे फिर लौट के आने की खुशी
ये फासले हमें फैसले पे आने नहीं देती
तू ही बता ऐ मेरे दिल
मैं रोऊँ या खुशी के कोई गीत गाऊँ।
गम के गोते में तेरे यादों के समुंदर जरूर है मेरे पास
तेरे लौट के आने की जरूर है एक आस
पर ये जुदाई की लंबाई बड़ी लंबी है
और तेरी यादों के पल बहुत कम पडेंगे मेरे पास।
कहते है बिछुडना ही फिर मिलने का संकेत है
पर कैसे चलूँ इन रास्तों पे सिर्फ रेत हैं
इस दिल को हम झूठे हौसले हैं देते
वो भी क्या वक्त थे जब हम साथ साथ थे रहते।
चलो रहेगा मुझे तेरे आने का इंतजार
ये दिल हमेशा रहेगा मिलने को बेकरार
तेरे जाने से मेरे उजड़े चमन में तभी आएगी बहार
बस तू अपने लौटके आने का करके जाओ करार।
— मृदुल शरण