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एकांकी – रिश्ता

पात्र परिचय 

रमेश         :          एक सामान्य कद काठी का नवयुवक, जिसके विवाह के लिए लड़की की तलाश की जा रही थी, उम्र लगभग 28 वर्ष। 
रमा           :          रमेश की माँ, उम्र लगभग 58 वर्ष।  
सुनीता       :        नवयुवती, जिसके विवाह के लिए लड़के की तलाश की जा रही थी, उम्र लगभग 25 वर्ष।
संतोष        :          सुनीता के पिताजी, उम्र  लगभग 56 वर्ष।  
ममता        :          सुनीता की मम्मी, उम्र लगभग 50 वर्ष।।  
पंडित जी   :          उम्र लगभग 65 वर्ष।
(एक उच्च मध्यमवर्गीय परिवार का बैठक कक्ष। कक्ष में अपेक्षाकृत महँगा सोफा, टी-टेबल, सुन्दर कवर, दीवारों पर कुछ महंगे फ्रेमयुक्त फोटो टंगे हुए हैं।)

संतोष : बहन जी यहाँ तक पहुँचने में कोई दिक्कत तो नहीं हुई न ?
रमा : नहीं भाई साहब। कोई दिक्कत नहीं हुई। पंडित जी का घर देखा हुआ था। सो, सबसे पहले हम लोग पंडित जी के घर पहुँच गए। पंडित जी के साथ ही हम आपके घर तक आराम से पहुँच गए।”
पंडित जी : हाँ संतोष जी, मैंने पहले ही रमेश बाबू को बता दिया था कि वे पहले हमारे घर आ जाएँ, फिर साथ में यहाँ आएँगे। वैसे भी मेरा घर इनके और आपके घर के बीच रास्ते में ही पड़ता है।  
संतोष : हाँ सो तो है। वैसे पंडित जी के साथ हमारे परिवार का जुड़ाव पीढ़ियों से हैं। इनके पिताजी के समय से ही हमारे सम्बन्ध हैं। पंडित जी ने ही हमें आप लोगों के बारे में बताया। 
रमा : जी भाई साहब। पंडित जी ने ही हमें आप लोगों के बारे में बताया और यहाँ आग्रहपूर्वक लेकर आए हैं।
संतोष : हाँ बहन जी, मैंने ही पंडित जी को आपके पास भेजा था। ममता, अरी ओ ममता, सुनीता को लेकर आना।
(तभी ममता अपनी बेटी सुनीता को लेकर कक्ष में प्रवेश करती है।)
संतोष : आओ बेटा, उधर बैठ जाओ। हाँ उधर, मम्मी के साथ बैठ जाओ।
(सुनीता पंडित जी, रमा और सुरेश को अभिवादन कर पिताजी के बताए अनुसार सोफे में एक तरफ मम्मी के साथ बैठ जाती है।)  
पंडित जी : रमा बहन, ये रहीं सुनीता बिटिया, जिनके विषय में मैंने आपसे चर्चा की थी। ये संतोष जी और ममता जी की एकलौती संतान है। संतोष जी के एक भाई विदेश में रहते हैं।
संतोष : हाँ, बहन जी। हमारा छोटा भाई सुनील कनाडा में शिफ्ट हो गया है। अब तो उनकी वापसी की कोई संभावना नहीं है। पिछली बार तीन साल पहले मम्मी-पापा की तेरहवीं में ही शामिल होने के लिए आए थे, जिनका कि एक कार दुर्घटना में देहांत हो गया था। सुनील ने यहाँ की अपनी पूरी प्रापर्टी बेच कर कनाडा की नागरिकता प्राप्त कर ली है।
रमा : ओह ! हमारे परिवार में भी हम दो ही सदस्य हैं। रमेश के पापा कोरोना के कारण चल बसे। उनके भाइयों ने कभी हमारी कोई सुध नहीं ली। मेरा एक छोटा भाई है, जो पढ़ाई के लिए यू.ए.ई. गया और वहीं का होकर रह गया। मम्मी-पापा के अंतिम संस्कार में भी शामिल होने के लिए नहीं आया।
ममता : हाँ, यह एक अजीब विडम्बना है कि लोग विदेश जाते तो केवल पढ़ने या काम की तलाश में ही हैं, पर पता नहीं उन्हें वहाँ ऐसा क्या आकर्षण दिखता है कि वे वहीं के होकर रह जाते हैं। और उनके पीछे उनके बुजुर्ग माँ-बाप उनको देखने तक को तरस जाते हैं।
पंडित जी : शायद भौतिकता की अंधी दौड़, ढेर सारा पैसा, वहाँ की चकाचौंध, ग्लैमरस लाइफ स्टाइल के वशीभूत हो वे वहीं के होकर रह जाते हैं।
संतोष : हूँ… और बेटा रमेश, आप भी कुछ अपने बारे में बताइए।
रमेश : अंकल जी, मैंने सिविल इंजीनियर की डिग्री एन.आई.टी. से हासिल की है। मामा जी कई बार यू.ए.ई. बुला चुके, पर पापा-मम्मी नहीं चाहते थे कि मैं यू.ए.ई. जाऊँ। वैसे मेरी भी इच्छा नहीं है वहाँ जाने की। पापा मेडिकल रिप्रजेंटेटिव थे। कोरोना काल में उनकी असामयिक निधन के बाद आजीविका के लिए मैंने रेलवे में जूनियर क्लर्क की नौकरी ज्वाइन कर ली है। यहाँ हम सरकारी क्वार्टर में रहते हैं। नौकरी के साथ ही साथ कॉम्पिटिशन एग्जाम की तैयारी भी कर रहा हूँ।
संतोष : अच्छा अच्छा, ये तो बहुत ही अच्छी बात है। देखो बेटा, सुनीता हमारी एकलौती बेटी है। इसलिए हमारे लिए यह जरूरी भी है कि जिसके साथ उसकी शादी हो, उसके बारे में हम पूरी जानकारी हासिल कर लें।
रमा : बिलकुल सही कहा भाई साहब। ये आपका फर्ज भी है। हम लोगों का मूल निवास यहाँ से 25 किलोमीटर दूर रेगड़ी गाँव है। वहाँ हमारा एक छोटा-सा घर और लगभग एक एकड़ जमीन था, जो कि रमेश के पापा के इलाज के दौरान बिक गया। कुछ पैसे बचे थे, जिससे हमने इसी शहर की एक कॉलोनी में डेढ़ हजार स्क्वायर फ़ीट का एक छोटा-सा भू-खंड खरीद लिया है। भविष्य में हम वहाँ अपना आशियाना बनाने के इच्छुक हैं। वर्त्तमान में हमारी आय का मुख्य स्रोत रमेश की सेलरी ही है, जिससे हमारा ठीक-ठाक गुजारा हो जाता है।।
संतोष : अच्छा, अच्छा। क्या है बहन जी सुनीता हमारी एकलौती बेटी है। बड़े ही प्यार से हमने उसे पाला-पोसा है। इसलिए…
रमेश : हाँ अंकल जी, आप हमसे हमारे बारे में जो भी जानना चाहते हैं, बेहिचक पूछ सकते हैं। हमें बिलकुल भी बुरा नहीं लगेगा। यदि आपकी जगह हम होते, तो हम भी वही करते, जो आप करना चाह रहे हैं।
रमा : आज की डेट में हमारा खुद का कोई मकान नहीं है, न ही कोई कार है। बैंक बैलेंस भी कुछ ख़ास नहीं है। रमेश पैदल ही ऑफिस आता-जाता है। हमें कभी बाजार जाना होता है, तो अपनी स्कूटी से ही आते-जाते हैं। पति को खोने और रमेश के ऑफिस चले जाने के बाद मैंने अपना अकेलापन दूर करने के लिए अपने घर में ही छोटे-छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया है। वैसे भी मुझे पढ़ाने का बचपन से ही बहुत शौक था। शादी के पहले और बाद भी एक प्रायवेट स्कूल में टीचर थी, पर रमेश के जन्म होने के बाद मैंने वह नौकरी छोड़ दी थी।  
रमेश : हाँ अंकल जी, मैं भी आठ घंटे की ड्यूटी के बाद बचे हुए समय का सदुपयोग करने के लिए एक कोचिंग इंस्टीट्यूट में दो घंटे के लिए पढ़ाने जाता हूँ। इस बहाने जहाँ मेरी अच्छी तैयारी हो जाती है, वहीं कुछ अर्निंग भी हो जाती है, जिसे हम कुछ अच्छे म्यूच्यूअल फंड में निवेश कर रहे हैं।
संतोष : आगे की क्या योजना है ? मेरा मतलब है कि शादी के बाद आप रहेंगे कहाँ ? यदि आपका ट्रांसफर किसी दूसरे शहर में हो गया तो ? क्या आपकी मम्मी भी आपके साथ वहाँ जाएँगी ? या फिर…
रमेश : अंकल जी, जब भी मेरा ट्रांसफर होगा, मुझे तो वहाँ जाना ही होगा। मैं जहाँ भी जाऊँगा, सपरिवार ही जाऊँगा। यथासंभव मुझे सरकारी क्वार्टर मिल ही जाएगा। रही बात माँ की, तो माँ मेरे साथ नहीं, मैं ही माँ के साथ रहूँगा। मेरी तो पूरी दुनिया मेरी माँ ही है और माँ की दुनिया मैं। इसलिए किसी भी कीमत पर हमारा अलग-अलग रहना संभव नहीं।   
संतोष : वाह ! ये तो और भी अच्छी बात है। यदि आप लोग भी हमसे या हमारी बेटी से कुछ भी जानना या पूछना चाहते हैं, तो बेहिचक पूछ सकते हैं। वैसे पंडित जी ने बता ही दिया होगा कि मेरी एक छोटी-सी गारमेंट फैक्ट्री है और सुनीता फिजिक्स में एम. एस-सी. करने के बाद कॉम्पिटिशन एग्जाम की तैयारी कर रही है।
रमा : बेटा सुनीता, तुम्हारी आगे की क्या योजना है ? मतलब शादी के बाद ?
सुनीता : आंटी मुझे पापा के गारमेंट फैक्ट्री में कोई इंट्रेस्ट नहीं है। इसलिए पापा के बार-बार कहने पर भी मैंने आज तक फैक्ट्री ज्वाइन नहीं की है। मैं कॉलेज या यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर बनना चाहती हूँ। मैंने यू. जी. सी. एन. ई. टी .पास कर ली है। पीएच. डी. के लिए भी रजिस्ट्रेशन करा ली है।
रमा : बहुत बढ़िया। तुम्हारी रुचि भी टीचिंग में है। घर का काम-काज भी कुछ सीखा है ?
सुनीता : जी, थोड़ा बहुत। दाल, चावल, रोटी वगैरह ठीक-ठाक बना लेती हूँ। हाँ सब्जी कभी-कभी बिगड़ जाती है।
रमा : कोई बात नहीं बेटा, सब्जी तो हम लोगों से भी कभी-कभी बिगड़ जाती है। क्यों ममता बहन ?
ममता : हाँ बहन, सो तो है।                     
रमा : ये तो आज कल की लड़की है फिर भी आपने इसे बहुत-कुछ सिखा दिया है। हमारे जमाने में भी हम कौन-सा ढंग से खाना बनाना जानते थे।
(सब लोग सुनकर हँसने लगे।)
पंडित जी : भई बातें बहुत हो गई। मेरे विचार से आप लोगों को एक दूसरे से जो कुछ भी जानना-पूछना था, वह भी जान-पूछ लिया। दोनों ही परिवार दान-दहेज़ के सख्त खिलाफ हैं, यह बात आप लोगों ने मुझे और मैंने आप लोगों को बहुत पहले ही बता दिया था। चाय-नास्ता भी हो चुका है। अब आप लोगों को ये रिश्ता मंजूर हो, तो मैं सगाई का मुहूर्त बता दूँ ? क्योंकि कुंडली का मिलान तो मैंने पहले ही कर ही लिया है। पूरे बत्तीस गुण मिलने के साथ ही साथ राजयोग भी बन रहा है।
संतोष : (अपनी पत्नी और बेटी की और देखने के बाद) बहन जी, हमें तो यह रिश्ता मंजूर है। यदि आपको हमारी बेटी पसंद हो, तो पंडित जी से सगाई और मुहूर्त की बात कर लें ?
रमा : भाई साहब, आपके मुकाबले हमारी हैसियत बहुत ही छोटी है। न जमीन-जायदाद, न बंगला-कार। ढंग की नौकरी भी तो नहीं। कहीं आप जल्दबाजी तो नहीं कर रहे हैं ? बेटी का रिश्ता ज़रा सोच-समझकर करना चाहिए। वैसे आप खुद समझदार हैं।
संतोष : बहन जी, बेटी का बाप हूँ। इसलिए ऐसा निर्णय ले रहा हूँ। आपके पास जमीन-जायदाद, बंगला-कार नहीं है तो क्या हुआ, सोने जैसा मन और हीरे जैसी औलाद तो है। जमीन-जायदाद, बंगला-कार के लिए तो पूरी उमर पड़ी है। आज नहीं तो कल, हो ही जाएगा, पर एक बार ये रिश्ता हमारे हाथ से निकल गया, तो दुबारा ऐसा मौका नहीं मिलेगा।
रमा : (अपने बेटे की और देखने के बाद) भाई साहब, सुनीता हमारी बहू बनेगी, ये तो हमारी खुशकिस्मती होगी। रही बात मुहूर्त की तो ऐसा हो नहीं सकता कि पंडित जी वह भी पहले से निकाल कर न रख लिए हों।
सब ठहाका मार कर हँसने लगे।
(पर्दा गिरता है।)  
— डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा

*डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा

नाम : डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा मोबाइल नं. : 09827914888, 07049590888, 09098974888 शिक्षा : एम.ए. (हिंदी, राजनीति, शिक्षाशास्त्र), बी.एड., एम.लिब. एंड आई.एससी., (सभी परीक्षाएँ प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण), पीएच. डी., यू.जी.सी. नेट, छत्तीसगढ़ टेट लेखन विधा : बालकहानी, बालकविता, लघुकथा, व्यंग्य, समीक्षा, हाइकू, शोधालेख प्रकाशित पुस्तकें : 1.) सर्वोदय छत्तीसगढ़ (2009-10 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी हाई एवं हायर सेकेंडरी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 2.) हमारे महापुरुष (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 10-10 प्रति नि: शुल्क वितरित) 3.) प्रो. जयनारायण पाण्डेय - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 4.) गजानन माधव मुक्तिबोध - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 5.) वीर हनुमान सिंह - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 6.) शहीद पंकज विक्रम - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 7.) शहीद अरविंद दीक्षित - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 8.) पं.लोचन प्रसाद पाण्डेय - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 9.) दाऊ महासिंग चंद्राकर - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 10.) गोपालराय मल्ल - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 11.) महाराज रामानुज प्रताप सिंहदेव - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 12.) छत्तीसगढ रत्न (जीवनी) 13.) समकालीन हिन्दी काव्य परिदृश्य और प्रमोद वर्मा की कविताएं (शोधग्रंथ) 14.) छत्तीसगढ के अनमोल रत्न (जीवनी) 15.) चिल्हर (लघुकथा संग्रह) 16.) संस्कारों की पाठशाला (बालकहानी संग्रह) 17.) संस्कारों के बीज (लघुकथा संग्रह) अब तक कुल 17 पुस्तकों का प्रकाशन, 80 से अधिक पुस्तकों एवं पत्रिकाओं का सम्पादन. अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादक मण्डल सदस्य. मेल पता : [email protected] डाक का पता : डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा, विद्योचित/लाईब्रेरियन, छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम, ब्लाक-बी, ऑफिस काम्प्लेक्स, सेक्टर-24, अटल नगर, नवा रायपुर (छ.ग.) मोबाइल नंबर 9827914888