धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

हमारी संस्कृति का अहम अंग है योग

योगा भी एक पुराना  हुनर है, एक फ़न है। वादिए  शिंद की तहज़ीब की तलाश में एक खुदाई के दौरान कई मुर्तियां मिली जो पांच हज़ार वर्ष पुरानी थीं।

जिन पर योगा के विभिन्न अदाज़  नज़र आते थे।अमेरिका युरोप में भी योगा के फायदों से प्रभावित होकर अपनी स्कूलों में एक पाठ के रूप में पढाया जाता है। हिन्दु ग्रंथ उपनिषद जो आठ सौ वर्ष पूर्व लिखी गई थी उसमे भी योगा के बारे में विस्तृत वर्णन पाया जाता है , लोक गीतों भारतीय मज़हब और तहज़ीब के साथ योगा का बहुत गहरा ताल्लुक़ है।ये पुराने ज़माने से ही हमारी संस्कृति का अहम अंग रहा है। योगा संस्कृत भाषा का शब्द है जिसका मतलब है।

“काया पाना” योगा के ज़रिए ना सिर्फ़ हम शारीरीक रूप से फिट रहते हे बल्कि ज़हनी और जज़्बाती तौर पर भी शख्सियत बेलेंस में रहती हे। योगा की मदद से हम अपनी ज़िन्दगी को खुश गवार बना सकते है , योगा के ज़रिए हम अपनी फिटनेस बरक़रार रख सकते है, वज़न में कमी और थकान से निजात पाना भी आसान हो जाता है। योगा करने पहले हमें किसी भी क़ाबिल योगा एक्सपर्ट से सलाह एवं मार्गदर्शन ले लेना चाहिए योगा की जगह साफ़ सुथरी होनी चाहिए एवं  कपड़े ढीले ढालेे होने चाहिए। योगासन सुबह के नास्ते से पहले ख़ाली पेट किया जाना चाहिए योगा के बाद नियमित रूप से आधा घन्टे बाद पोष्टिक भोजन एवं दुध पिया जा सकता है । योगा शाम को भी किया जा सकता है । आईये आपको गौमुखासन के सम्बंध में बताते है यह आसन छाती . फेफड़ों व हृदय को सुदृढ बनाता है ।और इसलिए यह आसन दमा व श्वसन संबंधी समस्याओं में लाभकारी होता है।यह आसन ऊपरी बाह कंधो पीठ तथा जांग को मजबूत बनाता है । गोमुखासन करने का तरीका भूमि पर सीधे तनी अवस्था में बैठकर , दोनों पैर सामने सीधे रखें।

बाएं पैर को मोड़कर एडी नितम्ब के पास रखे अथवा एड़ी पर बैठ सकते है। इसी प्रकार दाए पर को मोड़कर बायें और के ऊपर इस प्रकार रखें ,कि दोनो घुटने एक दूसरे से स्पर्श करते हुए हो दाई एड़ी को बाए नितिम्ब के साथ मिलाएं ।अब दाये हाथ को ऊपर उठाकर पीठ की ओर मोडिए तथा बायें हाथ को पीठ के पीछे से लेकर हाथ को पकडिए कुछ सेकण्ड के लिए इसी अवस्था में रहे जब तक की आप इसे आराम से कर सकें ,गर्दन व कमर सीधी रखें ,अपने हाथों व पैरो की स्थिति को बदल कर इस प्रक्रिया को दोहराएं योग करने से किसी भी प्रकार का रोग तनाव अनिन्द्रा और छोटी मोटी से बिमारी से बचा जा सकता है। तो आइए करें योगासन ओर रहे चुस्त और सेहतमंद,

— डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह

डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह

वालिद, अशफ़ाक़ अहमद शाह, नाम / हिन्दी - मुश्ताक़ अहमद शाह ENGLISH- Mushtaque Ahmad Shah उपनाम - सहज़ शिक्षा--- बी.कॉम,एम. कॉम , बी.एड. फार्मासिस्ट, होम्योपैथी एंड एलोपैथिक मेडिसिन आयुर्वेद रत्न, सी.सी. एच . जन्मतिथि- जून 24, जन्मभूमि - ग्राम बलड़ी, तहसील हरसूद, जिला खंडवा , कर्मभूमि - हरदा व्यवसाय - फार्मासिस्ट Mobile - 9993901625 email- [email protected] , उर्दू ,हिंदी ,और इंग्लिश, का भाषा ज्ञान , लेखन में विशेष रुचि , अध्ययन करते रहना, और अपनी आज्ञानता का आभाष करते रहना , शौक - गीत गज़ल सामयिक लेख लिखना, वालिद साहब ने भी कई गीत ग़ज़लें लिखी हैं, आंखे अदब तहज़ीब के माहौल में ही खुली, वालिद साहब से मुत्तासिर होकर ही ग़ज़लें लिखने का शौक पैदा हुआ जो आपके सामने है, स्थायी पता- , मगरधा , जिला - हरदा, राज्य - मध्य प्रदेश पिन 461335, पूर्व प्राचार्य, ज्ञानदीप हाई स्कूल मगरधा, पूर्व प्रधान पाठक उर्दू माध्यमिक शाला बलड़ी, ग्रामीण विकास विस्तार अधिकारी, बलड़ी, कम्युनिटी हेल्थ वर्कर मगरधा, रचनाएँ निरंतर विभिन्न समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में 30 वर्षों से प्रकाशित हो रही है, अब तक दो हज़ार 2000 से अधिक रचनाएँ कविताएँ, ग़ज़लें सामयिक लेख प्रकाशित, निरंतर द ग्राम टू डे प्रकाशन समूह,दी वूमंस एक्सप्रेस समाचार पत्र, एडुकेशनल समाचार पत्र पटना बिहार, संस्कार धनी समाचार पत्र जबलपुर, कोल फील्डमिरर पश्चिम बंगाल अनोख तीर समाचार पत्र हरदा मध्यप्रदेश, दक्सिन समाचार पत्र, नगसर संवाद नगर कथा साप्ताहिक इटारसी, में कई ग़ज़लें निरंतर प्रकाशित हो रही हैं, लेखक को दैनिक भास्कर, नवदुनिया, चौथा संसार दैनिक जागरण ,मंथन समाचार पत्र बुरहानपुर, और कोरकू देशम सप्ताहिक टिमरनी में 30 वर्षों तक स्थायी कॉलम के लिए रचनाएँ लिखी हैं, आवर भी कई पत्र पत्रिकाओं में मेरी रचनाएँ पढ़ने को मिल सकती हैं, अभी तक कई साझा संग्रहों एवं 7 ई साझा पत्रिकाओं का प्रकाशन, हाल ही में जो साझा संग्रह raveena प्रकाशन से प्रकाशित हुए हैं, उनमें से,1. मधुमालती, 2. कोविड ,3.काव्य ज्योति,4,जहां न पहुँचे रवि,5.दोहा ज्योति,6. गुलसितां 7.21वीं सदी के 11 कवि,8 काव्य दर्पण 9.जहाँ न पहुँचे कवि,मधु शाला प्रकाशन से 10,उर्विल,11, स्वर्णाभ,12 ,अमल तास,13गुलमोहर,14,मेरी क़लम से,15,मेरी अनुभूति,16,मेरी अभिव्यक्ति,17, बेटियां,18,कोहिनूर,19. मेरी क़लम से, 20 कविता बोलती है,21, हिंदी हैं हम,22 क़लम का कमाल,23 शब्द मेरे,24 तिरंगा ऊंचा रहे हमारा,और जील इन फिक्स पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित सझा संग्रह1, अल्फ़ाज़ शब्दों का पिटारा,2. तहरीरें कुछ सुलझी कुछ न अनसुलझी, दो ग़ज़ल संग्रह तुम भुलाये क्यों नहीं जाते, तेरी नाराज़गी और मेरी ग़ज़लें, और नवीन ग़ज़ल संग्रह जो आपके हाथ में है तेरा इंतेज़ार आज भी है,हाल ही में 5 ग़ज़ल संग्रह रवीना प्रकाशन से प्रकाशन में आने वाले हैं, जल्द ही अगले संग्रह आपके हाथ में होंगे, दुआओं का खैर तलब,,,,,,,