तुम नहीं आए
वक्त ने लम्हें सजाए, तुम नहीं आए।
ढल गये रातों के साये, तुम नहीं आए।
कदमों की आहटों पे, दिल हो रहा बेदार,
धड़कन ने दीं सदाएं, तुम नहीं आए।
कुछ ख़्वाहिशें अधूरी, पड़ी हैं तुम्हारे पास,
रहे डूब हसरतों के साए, तुम नहीं आए।
अनकहे जज़्बात का, जारी है सिलसिला,
अल्फाज़ लड़खड़ाए, तुम नहीं आए।
याद आते हो बहुत, लेकिन नहीं आते,
अश्क आंखों ने बहाये तुम नहीं आए
— पुष्पा अवस्थी “स्वाती”