लघुकथा

उज्ज्वल भविष्य

बारात में लाइट का हंडा लेकर चलने वाली बिम्मो का मन डोल रहा था। दूसरों की खुशी को रोशन करने वाली के घर रोशनी नहीं थी। उसका बेटा शंभु रस्ते की बिजली के खंभे के नीचे पढ़ता था। कल आखिरी पेपर है, पर शादी वालों ने सारे खंभों से कनेक्शन ले रखे हैं, इसलिए खंभे से भी लाइट नहीं मिलेगी।
साथ वाली कम्मो ने मन डोलने का कारण पूछा।
“सरपंच जी से शिकायत कर दे।” कम्मो ने समाधान सुझाया।
“वही तो आज के खास मेहमान हैं!” बिम्मो का दर्द मुखर हो उठा।
“कोई बात नहीं, उसे मेरे घर भेज देना, बारात वालों को दुआ दे कि हमें काम दिया है।” कम्मो का दिल जो बड़ा और नेक था!
“ठीक है, भगवान इनका भविष्य उज्ज्वल करे, तू मेरे शंभु का भविष्य उज्ज्वल कर, जब मेरा शंभु बड़ा आदमी बनेगा तो मैं बड़ा सा लाइट वाला हॉल बनवाकर बहुत से बच्चों का भविष्य उज्ज्वल करूंगी।”

— लीला तिवानी

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244